कालाअंब/शिमला।
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के धन शोधन (Money Laundering) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत ने एक निर्णायक कदम उठाया है। कालाअंब स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस (HGPI) के प्रबंध निदेशक रजनीश बंसल को आखिरकार ‘उद्घोषित फरार अपराधी’ (Proclaimed Offender) घोषित कर दिया गया है।
अदालत के इस सख्त आदेश के बाद अब ईडी के लिए रजनीश बंसल की करोड़ों रुपये की संपत्ति को कुर्क और नीलाम करने का रास्ता साफ हो गया है।
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⚠️ लगातार टाल-मटोल के बाद अदालत का कड़ा रुख
न्यायालय ने यह आदेश आरोपी द्वारा लगातार समन की अनदेखी करने और अदालत की कार्यवाही से जानबूझकर बचने के कारण दिया है।ईडी के अनुसार, मामले की पूछताछ के लिए रजनीश बंसल के खिलाफ करीब पाँच समन जारी किए गए थे।
अंतिम वारंट जारी होने के बावजूद, वह 6 फरवरी 2025 को ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। इससे पहले भी, ईडी ने 29 जनवरी 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत रजनीश के पंचकूला स्थित घर पर रेड की थी और उसके भाई को गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल जेल में है।
ईडी के शिकंजे से बचने के लिए बीते दिनों रजनीश की ओर से लगाई गई अंतरिम जमानत याचिका को भी अदालत पहले ही खारिज कर चुकी थी। इसके बाद गत 12 मार्च को विशेष न्यायाधीश की अदालत ने बंसल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA, 2002) की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध के लिए ओपन-एंडेड गैर-जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया था।
📌 नोटिस चस्पा करने पर नया विवाद
उद्घोषणा जारी होने के बाद, आदेश की प्रतियां आरोपी के कुरुक्षेत्र स्थित निवास, नाहन के कालाअंब स्थित HGPI संस्थान और शिमला अदालत के नोटिस बोर्ड पर चस्पां की गईं थीं। बावजूद इसके, बंसल अदालत में उपस्थित नहीं हुआ।
लेटेस्ट अपडेट यह है कि जहां अदालती दस्तावेजों में नोटिस चस्पां किए जाने का उल्लेख है, वहीं हिमालयन कॉलेज प्रबंधन की ओर से मैडम ममता का कहना है कि अभी तक उनके संस्थान पर कोई भी नोटिस चस्पा नहीं किया गया है।
न्यायालय ने इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह माना कि आरोपी जानबूझकर न्यायालय की कार्यवाही से बच रहा है। इसलिए उसे फरार घोषित किया गया है, और आदेश दिया गया है कि बंसल का नाम प्रवर्तन निदेशालय के फरार आरोपियों के रजिस्टर में दर्ज किया जाए।
🔍 छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें
यह मामला हिमाचल में अधिकारियों की मिलीभगत से कई निजी विश्वविद्यालय संचालकों द्वारा करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हड़पने से जुड़ा है।मामले की शुरुआत: कथित अपराध वर्ष 2014-15 का है। 16 नवंबर 2018 को पुलिस थाना छोटा शिमला में आरोपी अरविंद राज्टा सहित अन्य के खिलाफ मामला पंजीकृत किया गया था।
सीबीआई जांच: 7 मई 2019 को यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया था। सीबीआई ने इसी दिन रजनीश बंसल व अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।पूर्व की गिरफ्तारी: सीबीआई ने 8 अप्रैल 2024 को रजनीश को गिरफ्तार किया था,
हालांकि बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी।ईडी की जाँच: 19 जुलाई 2019 से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामले की जांच कर रहा है।
उद्घोषित अपराधी घोषित किए जाने की इस सूचना के बाद न केवल HGPI कॉलेज बल्कि पूरे कालाअंब क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। अब सभी की निगाहें प्रवर्तन निदेशालय पर टिकी हैं कि वह रजनीश बंसल की संपत्तियों की कुर्की और नीलामी की कार्रवाई कब शुरू करता है।
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