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हर परिवार चढ़ाता है त्रिभुवनी मंदिर में घी, मक्खन और पहली फसल का हिस्सा

Published ByAnkita Date Jul 1, 2024

हरियाणा और सिरमौर के ग्रामीणों के अन्न और पशुधन की रक्षक है मां त्रिभोणी देवी

HNN/ नाहन

जिला सिरमौर के नाहन विधानसभा क्षेत्र की कौलावाड़ाभूड़ पंचायत के त्रिभुवनी (त्रिभोणी) मंदिर में आषाढ़ माह (जून-जुलाई) के चारों रविवार को मेले का आयोजन किया जाता है। इन चारों रविवार को जिला सिरमौर सहित हरियाणा के मोरनी क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। त्रिभोणी मंदिर स्थापित माता त्रिभुवनी पशुओं की रक्षा के साथ-साथ अन्न, धन में बरकत देने वाली मानी जाती है।

यही नहीं सदियों से यह परंपरा भी रही है कि जब भी यहां किसी के भी घर में गए अथवा कोई भी दुधारू पशु नया दूध होता है तो उसका पहला दूध घी मक्खन मां के मंदिर में समर्पित किया जाता है। क्षेत्र के लोग फसल कटाई के बाद तब तक अन्न का इस्तेमाल नहीं करते जब तक मां के मंदिर में पैदा हुई फसल का एक हिस्सा ना चढ़ा दें।

आस्था के प्रतीक इस मंदिर में आषाढ़ और मार्गशीर्ष मास के चारों रविवार को मेले का आयोजन किया जाता है। त्रिभोणी मंदिर नाहन से 35 किलोमीटर, सराहां से 25 किलोमीटर, कौलावालाभूड़ से 3 किलोमीटर और हरियाणा के मोरनी से 20 किलोमीटर है। जिला सिरमौर सहित हरियाणा के मोरनी क्षेत्र के लोग भी त्रिभोणी मंदिर में पशुओं की सलामती तथा दुधारू पशुओं की रक्षा के लिए माता का आशीर्वाद लेने आते हैं।

सिरमौर के ग्रामीण संजीव ठाकुर, अश्वनी ठाकुर, वंदना ठाकुर, राकेश शर्मा, संजय राजन और सुरेश कुमार ने बताया कि जब भी दुधारू पशु जब नए बछड़े या बछड़ी को जन्म देते हैं, तो वह पहले सप्ताह के दूध का घी और मक्खन माता को भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं। साथ ही पूरे वर्ष के लिए जंगली जानवरों, बीमारियों तथा जहरीले कीट पतंगो से अपने पालतू पशुओं की रक्षा की कामना करते हैं।

बड़ी बात तो यह है कि जब भी किसी के परिवार में दूध या फसलों में बरकत की कमी आती है या पशुओं को बीमारी लगती है तो मां के मंदिर में गलती मान लेने पर सब कुछ सामान्य हो जाता है। जिला के नाहन, पच्छाद, श्रीरेणुकाजी, पांवटा साहिब उपमंडल के पशुपालक अपने दुधारू पशुओं का घी, मक्खन और नई फसल के अनाज को यहां पर चढ़ते हैं। साथ ही मंदिर के पुजारी आशीर्वाद स्वरुप सभी श्रद्धालुओं को रक्षा के चावल प्रदान करते हैं।

मंदिर के पुजारी मां की ओर से हर भगत के लिए कामना करते हैं कि वह अगले वर्ष फिर वह दुधारू पशु का घी तथा मक्खन लेकर मंदिर में आए। हाल ही में 14 जून को संक्रांति के बाद यह तीसरा रविवार था। हर वर्ष की भांति इस बार भी सैकड़ो श्रद्धालुओं ने त्रिभोणी मंदिर पहुंचकर माता का आशीर्वाद लिया। मंदिर कमेटी और पुजारियों की ओर से मंदिर पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

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