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सैंणधार क्षेत्र की संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाने नारग में होगा दो दिवसीय सैंणधार उत्सव

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 15 दिसंबर 2025 at 6:26 pm

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सिरमौर जिले के सैंणधार क्षेत्र की समृद्ध धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने के उद्देश्य से नारग में दो दिवसीय सैंणधार उत्सव आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन नशे के खिलाफ ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं को जागरूक करने का भी सशक्त मंच बनेगा।

नाहन/सराहां

सैंणधार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत
सैंणधार उत्सव कमेटी ने सराहां में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि सैंणधार क्षेत्र जिला सिरमौर की तीन प्रमुख नदियों गिरी, जलाल और कव्वाल का संगम स्थल है। यह क्षेत्र धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

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हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की कर्मभूमि
कमेटी सदस्यों ने कहा कि सैंणधार क्षेत्र पूरे हिमाचल की पहचान का आधार रहा है, क्योंकि प्रदेश के निर्माता और पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार इसी क्षेत्र से थे। उन्होंने बताया कि डॉ. परमार की सादगीपूर्ण वेशभूषा और विचारधारा आज भी सैंणधार की पहचान का हिस्सा है और यदि डॉ. परमार न होते तो हिमाचल का अस्तित्व भी संभव नहीं था।

27 पंचायतों की साझा सांस्कृतिक पहचान
कमेटी के अनुसार बेचढ़ बाग से लेकर नारग और कालाघाट क्षेत्र तक की 27 पंचायतें सैंणधार क्षेत्र में आती हैं, जहां की लोकसंस्कृति, परंपराएं और रहन-सहन इस उत्सव के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किए जाएंगे।

20 दिसंबर को होगा उत्सव का शुभारंभ
सैंणधार उत्सव का शुभारंभ जिला सिरमौर की उपायुक्त प्रियंका वर्मा करेंगी। पहले दिन महिलाओं के लिए मटका फोड़, रस्साकशी और कुर्सी प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। सांस्कृतिक संध्या में अरुण आर्य, कपिल और भारती शर्मा अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

दूसरे दिन दंगल रहेगा मुख्य आकर्षण
उत्सव के समापन समारोह में जिला सिरमौर के पुलिस अधीक्षक निश्चित सिंह नेगी मुख्य अतिथि होंगे। दूसरे दिन दंगल आयोजन का मुख्य आकर्षण रहेगा और श्रद्धालुओं व दर्शकों के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की गई है। सांस्कृतिक संध्या में दिलीप सिरमौरी, विकास शर्मा, विद्या दत्त शर्मा और अनुराधा अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

संस्कृति, वेशभूषा और विभूतियों का सम्मान
दो दिवसीय उत्सव में सैंणधार क्षेत्र की पारंपरिक वेशभूषा, लोकसंस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को मंचन के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही सैंणधार की पहचान को विश्व पटल पर पहुंचाने वाली विभिन्न विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। आयोजन को सफल बनाने के लिए आठ उप-समितियों का गठन भी किया गया है।

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