Himachalnow / शिमला
जिला अदालत ने सामूहिक हिंसा और घर में घुसकर मारपीट के एक मामले में चौपाल के 33 लोगों को दोषी ठहराते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग ने सुनाया।
घटना 11 मार्च 2015 की है, जब चौपाल के तुइल गांव में एक झगड़े के दौरान नरवीर ठाकुर की जान चली गई थी। पुलिस के अनुसार, कुछ लोग नरवीर के घर में घुस गए और उनके साथ मारपीट की। बचाव में नरवीर ने बंदूक निकाली, लेकिन हमलावरों ने उस पर दरांती से हमला कर बंदूक छीनने का प्रयास किया। इस दौरान बंदूक से गोली चल गई, जो बंटू नामक व्यक्ति को लगी। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने नरवीर को घर से घसीटकर खेत तक ले जाकर पीटा। अगले दिन, 12 मार्च को नरवीर का शव बरामद हुआ।
अदालत ने दोषियों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई। धारा 148 के तहत तीन साल, धारा 440 में तीन साल, धारा 325 में पांच साल, और धारा 452 के तहत सात साल की सजा दी गई। इसके अलावा, शिकायतकर्ता वीरेंद्रा देवी को लगी चोटों के लिए 10,000 रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया।
फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सजा समाज में शांति और न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हालांकि, नरवीर की मौत के कारणों पर अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह साबित नहीं हुआ कि आरोपीगण ने ही उनकी हत्या की। मौत की वजह भीड़ की हिंसा या किसी कठोर वस्तु पर गिरने से हो सकती है।