शिरगुल के प्राचीन मंदिर शाया में चढ़ा 3.19 लाख का चढ़ावा

HNN / राजगढ़

शिरगुल देवता के प्राचीन मंदिर शाया में विशेषकर दिवाली पर्व के दौरान 3.19 लाख की आय दर्ज हुई है जिसमें 2.19 लाख की राशि मंदिर के गल्ला से और एक लाख की राशि श्रद्धालुाओं द्वारा मंदिर में लगने वाले भंडारे के लिए दान में दी गई। यह जानकारी शिरगुल देवता मंदिर समिति के मिडिया प्रभारी शेर जंग चौहान ने देते हुए कि मंदिर की आय की गणना हर माह की जाती है तथा इस बार दीवाली पर्व होने के कारण मंदिर में रिकार्ड आय 3,19,730 दर्ज की गई है।

उन्होंने बताया कि एकत्रित राशि बैंक में जमा की जाती है जिसका उपयोग मंदिर के निर्माण व अन्य विकास कार्य के लिए किया जाता है। इस बार 10 नवंबर को कानूनगो राजस्व विभाग पीडी शर्मा की देखरेख में मंदिर की आय की गणना की गई। उन्होंने बताया कि दिवाली के पर्व पर मंदिर में आयोजित दो दिवसीय मेले के दौरान करीब 13 हजार श्रद्धालुओं द्वारा शिरगुल देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया। इस मौके पर करीब सातः क्विंटल चावल और डेढ क्विंटल अखरोट श्रद्धालुओं द्वारा शिरगुल देवता को भेंट किए गए।

शेरजंग चौहान ने बताया कि शिरगुल देवता की जन्मस्थली शाया में और तप स्थली चूड़धार मानी जाती है। इन दोनों मंदिरों में वर्ष में पड़ने वाले चार बड़े साजे अर्थात दिवाली, बैशाखी, हरियाली और मकर सक्रांति को देवता के दर्शन करने का विशेष महत्व होता है। वर्ष में पड़ने वाले चार साजे के अतिरिक्त हर माह को पड़ने वाली सक्रांति को समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। शेरजंग चौहान ने बताया कि क्षेत्र में आराध्य देव शिरगुल को चावल और अखरोट की भेंट अर्पित करने की परंपरा सदियों पुरानी है जबकि अब लोगों द्वारा पैसा चढ़ाना भी शुरू कर दिया है।

उन्होने बताया कि शिरगुल देवता का इस गांव में प्रादुर्भाव हुआ था इस कारण इस मंदिर में अब बाहरी क्षेत्रों से लोगों और पर्यटकों का दर्शन करने के लिए आना भी प्रारंभ हो गया है। उल्लेखनीय है कि शिरगुल देवता की शिमला, सिरमौर और सोलन के नौ क्षेत्रों में अपने कुलदेवता के रूप में पूजा की जाती है जिसे स्थानीय भाषा में नोतबीन कहा जाता है।


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