Himachalnow/शिलाई
कहते हैं मां जैसा इस दुनिया में दूसरा कोई नहीं. एक मां अपने जिगर के टुकड़े के लिए कुछ भी कर सकती है या यूं कहे कि किसी भी हद तक जा सकती है।अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए वह खुशी-खुशी मौत को भी गले लगा सकती है। वह खुद मर गई, लेकिन अपने मासूम बेटे को नई जिंदगी दे गई। भावुक कर देने वाली मां की ममता की कुछ ऐसा ही मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में सामने आया है।
मां-बेटे की ये दास्तां आपकी भी आंखों में आंसू भर देगी। घटना जिला के शिलाई उपमंडल की है। यहां एक मां ने अपनी जान देकर अपने 3 वर्षीय मासूम बच्चे को नया जीवन दे गई। घटना कांडो भटनोल क्षेत्र की है। इस घटना के बाद जहां क्षेत्र में शोक की लहर है तो वहीं इस बहादुर मां के चर्चा भी हर जुबान पर है। मृतका की पहचान 28 वर्षीय अनु के रूप में हुई है। महिला अपने पीछे दो बच्चों को छोड़ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार महिला अनु अपने 3 वर्षीय बच्चे के साथ घास काटने गई थी। इसी बीच रंगड़ों ने मासूम बच्चे पर हमला कर दिया।हमला होता देख अनु ने अपने सिर पर पहना ढाटू उतार बच्चे के सिर पर डाल दिया।इसके साथ-साथ वह अपने बेटे के साथ लिपट गई। इसके बाद रंगड़ों ने महिला पर हमला कर दिया। गांव के ही एक व्यक्ति चतर सिंह ने महिला व बच्चे को बचाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन इसके बावजूद वह महिला को नहीं बचा सका। लिहाजा बच्चे को तुरंत मदद मिल गई।
हादसे के बाद महिला को शिलाई अस्पताल ले जाया गया, जहां से गंभीर हालत में देखते हुए उसे पांवटा साहिब सिविल अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पांवटा साहिब अस्पताल में पोस्टमार्टम करवा महिला का शव परिजनों को सौंप दिया गया, जबकि 3 वर्षीय बच्चे को मेडिकल कॉलेज नाहन लाया गया है, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर है।उधर, कांडों भटनोल पंचायत की पंचायत प्रधान सरिता शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि महिला ने बच्चे का जीवन बचा लिया, लेकिन रंगड़ों के हमले से महिला की मौत हो गई। हालांकि गांव के चतर सिंह ने उन्हें बचाने का प्रयास भी किया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।