महिला उद्यमिता को नई पहचान दे रही जिला प्रशासन की ‘गरिमा’ योजना

HNN/ ऊना वीरेंद्र बन्याल

गरिमा योजना जिला प्रशासन ऊना की एक सकारात्मक पहल है, जिसकी मूल भावना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण को केंद्र बनाना है। महिला उद्यमिता को नई दिशा दे रही जिला की बेटियों के प्रोत्साहन में भी गरिमा योजना बड़ी भूमिका निभा रही है। जिला प्रशासन गरिमा योजना के तहत जिला ऊना की तीन महिला उद्यमियों को सम्मानित किया जा रहा है। मोमबत्ती बनाकर देश में जिला ऊना का नाम रौशन करने वाली गगरेट निवासी नीति आर्या ने इस्तेमाल किए हुए मोम को दोबारा इस्तेमाल कर मोमबत्ती बनाने का सफल प्रयोग किया और इस कारोबार में उतरीं।

वर्ष 2017 में नीति ने अपने पति मुनीष आर्या के साथ दिवाली के आस-पास 50 किलो मोम से मोमबत्तियां बनाईं और उनका व्यवसाय चल निकला। आज नीति आर्या कैंडल लाइट ड्यूक नाम से मोमबत्ती का कारोबार कर रही हैं। नीति बताती हैं “आज हमारी बनाई अधिकतर मोमबत्तियां मुंबई, अहमदाबाद तथा दिल्ली जैसे शहरों में बिकने के लिए जा रही हैं। साथ ही एमेजॉन तथा फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन बाजार पर भी अलग-अलग नामों से हमारी बनाई मोमबत्तियां बिक रही हैं। गरिमा सम्मान मिलने की खुशी है और इसके लिए डीसी ऊना राघव शर्मा का आभार व्यक्त करती हूं।”

वहीं धमांदरी निवासी शिवाली धीमान को कंपोस्ट खाद तैयार कर उद्यमिता को नई दिशा प्रदान करने के लिए गरिमा सम्मान दिया जा रहा है। प्राकृतिक खेती से प्रेरित होकर वर्ष 2014 में अपनी बंजर पड़ी जमीन पर उन्होंने वर्मी कंपोस्ट तैयार करना शुरू किया तथा आज वह दो माह में 25 क्विंटल से अधिक कंपोस्ट किसानों को बेच रही हैं। शिवाली कहती हैं “कंपोस्ट खाद तैयार करने के लिए हमने 10 बैड बनाए हैं तथा किसानों की मांग को देखते हुए हम 10 अतिरिक्त बैड बनाकर खाद के उत्पादन को दोगुना करने का प्रयास कर रहे हैं। हम किसानों को 1000 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर कंपोस्ट खाद बेच रहे हैं।

हमारे काम को जिला प्रशासन प्रोत्साहित कर रहा है, जिसके लिए मैं जिलाधीश राघव शर्मा की आभारी हूं।” इसके अतिरिक्त अंबोटा निवासी निशा सूद शहद के कारोबार से जिला ऊना का स्वाद हर कोने तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। पेशे से आरसेटी में खाद्य प्रसंस्करण की ट्रेनर व आंकलनकर्ता हैं, लेकिन बेटे के काम से प्रभावित होकर उन्होंने अपने छोटी बचत का निवेश करते हुए मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से खुद को जोड़ दिया। निशा बताती हैं “वर्ष 2018 में हमने 72 बॉक्स के साथ काम शुरू किया तथा आज हमारे पास 300 से अधिक मधुमक्खी के बॉक्स हैं।

अपने शहद को मैं क्लासिक हिमालय शहद के नाम से प्रदेश के कोने-कोने में बेच रही हूं। अब जिला प्रशासन का गरिमा पुरस्कार पाकर अच्छा लग रहा है।” आर्थिक रूप से सशक्त बेटियां ही बेटियों को बचाकर और उन्हें पढ़ाकर उनकी गरिमा को समाज में पुनः प्रतिस्थापित कर सकती हैं। यही गरिमा योजना का प्रयास है। इस संबंध में उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि गरिमा योजना के अंतर्गत बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है और आर्थिक रूप से सशक्त बेटी को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का केंद्र बनाया जा रहा है।

जिला प्रशासन की गरिमा योजना का उद्देश्य ऐसी ही प्रगतिशील व सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत जहां महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाता है, वहीं अपने माता-पिता की देखभाल करने वाली बेटियों के साथ-साथ बेटियों को गोद लेने वाले माता-पिता, बेटी की उच्च शिक्षा व प्रोफेशनल कार्स कराने वालों व इसके लिए ऋण लेने वाले परिवारों तथा बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण में काम करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है।


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