बेहतर सुविधाओं से मरीजों, डॉक्टरों व क्वांरटीन में रहने वालों को हुई सहूलियत

HNN/ ऊना वीरेंद्र बन्याल

कोविड महामारी के दौरान ऑडिट की वित्तिय अनियमितताओं की प्रारंभिक टिप्पणियों को दूर करने की प्रक्रिया जारी है तथा जिला ऊना में टैक्सियां व होटल किराए पर लेने में किसी नियम की अवहेलना नहीं हुई। इस बारे जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि टैक्सियों का इस्तेमाल पुलिस, स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ विभिन्न मैजिस्ट्रेट ने किया, जिनके माध्यम से कोविड का प्रबंधन बेहतर ढंग से सुनिश्चित किया गया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 वायरस को लेकर शुरूआती दिनों में काफी भय का माहौल था, जिसे देखते हुए परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिए गए।

प्रवक्ता ने कहा कि टैक्सियों का प्रयोग कंटेनमेंट ज़ोन में दवाएं, दूध, सब्जी, राशन जैसे आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई करने के साथ-साथ बीमार व्यक्तियों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए किया गया, ताकि लॉकडाउन के चलते लोगों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके अतिरिक्त होम क्वारंटीन में रह रहे व्यक्तियों की निगरानी तथा जिला ऊना में प्रवेश के 11 एंट्री प्वाइंट्स के प्रबंधन में भी आवश्यकतानुसार टैक्सियों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि टैक्सियों को किराए पर सरकार से अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि वित्त विभाग की अधिसूचना में कंट्रोलिंग अधिकारी को आवश्यक शक्तियां प्रदान की गई हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में जिला प्रशासन ऊना द्वारा अधिसूचित दरों पर टैक्सियों को किराए पर लिया गया। साथ ही टैक्सी इस्तेमाल करने वाले अधिकारी ने लॉगबुक मेंटेन की है तथा अधिकारी द्वारा वैरिफाई करने के बाद ही टैक्सी के बिल का भुगतान किया गया। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि 41 लाख रुपए का भुगतान टैक्सी ऑपरेटरों को ओवरटाइम चार्ज के रुप में किए गए, क्योंकि कंटेनमेंट ज़ोन व सार्वजनिक स्थलों की निगरानी, बॉर्डर पर व्यवस्था बनाए रखने जैसे प्रबंधों के लिए अधिकारियों को दिन या रात किसी भी समय में जाना पड़ता था। लेकिन नवंबर 2020 में ओवरटाइम चार्ज देने की व्यवस्था को बंद कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि सरकारी गाड़ियों के लिए स्थान पर टैक्सियों को किराए पर लेना आवश्यक था क्योंकि लॉकडाउन में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद था तथा सरकारी गाड़ियों को अधिकारियों द्वारा विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने में इस्तेमाल किया गया था। टैक्सियों को मासिक आधार पर किराए पर लिया गया क्योंकि यह सस्ता है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि टैक्सी ऑपरेटरों के टीडीएस के रूप में 1.24 लाख रुपए काटे जाने थे, जो मानवीय त्रुटि के चलते नहीं किया गया। इस त्रुटि को दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने रिकवरी की प्रक्रिया शुरू की है तथा टैक्सी ऑपरेटरों से पैसा वापस लिया जा रहा है।

रिकवरी में सहयोग न करने वाले टैक्सी ऑपरेटरों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। होटल किराए पर लेने के विषय पर सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि जिला ऊना पंजाब की सीमा से सटा जिला है तथा लॉकडाउन में पूरे देश से लोग ऊना से होते हुए अपने-अपने गृह जिलों की ओर लौटने लगे। कोविड-19 वायरस के प्रबंधन के लिए क्वारंटीन किए गए लोगों के साथ-साथ ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को भी होटलों में ठहराया गया। इसके अतिरिक्त कुछ होटलों को डेडिकेटिड कोविड केयर सेंटर (डीसीसीसी) के रूप में अधिसूचित किया गया, जहां पर कोविड-19 वायरस से संक्रमित मरीजों को रहने की सुविधा प्रदान की गई।

सरकारी भवनों में लोगों को ठहराने के लिए शौचालय, बैड तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं के उचित प्रबंध नहीं थे, जिसकी वजह से निजी होटलों को किराए पर लेना पड़ा। इसके साथ-साथ वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संभावित मरीजों को अन्य व्यक्तियों से अलग रखना आवश्यक था। बाद में सरकारी भवनों में सुविधाएं तैयार होने के बाद होटल किराए पर लेना बंद कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि होटल में ठहरने वाले लोगों को रिकॉर्ड उपलब्ध है, जिसे होटल पर इंचार्ज के रूप में तैनात किए गए अधिकारी ने वैरिफाई किया है। प्रवक्ता ने कहा कि होटलों को पर्यटन विभाग की अधिसूचना में तय किए गए रहने व खाने की दरों के अनुसार भुगतान किया गया। उन्होंने कहा कि जिला ऊना में कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के बेहतर इंतजाम किए गए, जिसकी वजह से लोगों को असुविधा का कम सामना करना पड़ा और जन शिकायतें भी कम रहीं।


Posted

in

,

by

Tags: