बार संचालकों ने सरकार से की फीस व शराब का कोटा कम करने की मांग

कोरोना काल में बार रेस्तरां का कारोबार चौपट होने से संचालक जूझ रहे आर्थिक संकट से

HNN/ राजगढ़

कोरोना महामारी के चलते जहां देश व प्रदेश की आर्थिकी धराशाही हुई है वहीं पर बार रेस्तरां संचालक भी कोरोना की मार से अछूते नहीं बच पाए हैं। बता दें कि कोरोना काल के दौरान करीब आठ महीने एल-4 और एल-5 बार रेस्तरां बंद रहे जिससे बार संचालकों का कारोबार चैपट हो गया था। दूसरी ओर सरकार द्वारा भी कर अथवा सालाना फीस में कोई कटौती नहीं की गई है। चूंकि शराब के ठेके व बार रेस्तरां संचालकों से सरकार को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है।

जिसके चलते अनेक बार रेस्तरां बंद होने के कागार पर हैं। सूत्रों के मुताबिक एल-4 और एल-5 बार रेस्तरां संचालकों को करीब 2 लाख सैलाना फीस अदा करनी पड़ती है। कारोबार कम होने पर संचालकों को फीस अदा करने में खासी परेशानी पेश आ रही है। करीब आठ माह बार रेस्तरां बंद रहने पर संचालको द्वारा प्रदेश सरकार से फीस को माफ करने अथवा कम करने की अनेकों बार गुहार लगाई गई है परंतु अभी तक सरकार से इस बारे बार संचालकों को कोई राहत नहीं मिल पाई है।

बार रेस्तरां संचालकों का कहना है कि एक ओर जहां कोरोना के चलते बार रेस्तरां में लोगों का आना-जाना कम हो गया है वहीं पर दूसरी ओर बार रेस्तरां के लिए महीने में शराब का निर्धारित कोटा संचालको को उठाना पड़ रहा है। खपत कम होने के कारण बार संचालक काफी परेशानी से गुजर रहे हैं और पूरा कोटा उठाने में असमर्थ हो गए हैं।

गौर रहे कि आबकारी नीति के अनुसार महीने और साल के आखिरी में शराब का कोटा यदि न उठाया जाए तो उस स्थिति में बार संचालकों को भारी भरकम जुर्माना अदा करना पड़ता है। अर्थात बार संचालक दोहरी मार झेलने को मजबूर हो गए हैं। राजगढ़ बार संचालकों द्वारा मिडिया को जारी बयान में प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि महीने में शराब के कोटे में कटौती की जाए और साथ ही सालाना फीस में कमी की जाए ताकि बार संचालकों को इस संकट की घड़ी में थोड़ी राहत मिल सके।

उधर, सहायक आबकारी एवं कराधान आयुक्त सिरमौर प्रीतपाल सिंह से जब इस बारे बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला सरकार स्तर का है जिसके लिए वह सक्षम नहीं है और बार संचालकों को यह मुद्दा सरकार के साथ उठाना चाहिए।


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