निर्वाण जी की 29वीं पुण्यतिथि पर भक्तों ने किया श्रीमद् भागवत कथा का रसपान

रेनेंद्र मुनि जी बोले- जीवन रूपी नाव की पतवार होते हैं गुरु

HNN/ श्री रेणुका जी

जिला सिरमौर की प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन नगरी श्री रेणुकाजी तीर्थ के निर्वाण आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को विधिवत समापन हुआ। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान भी किया।

श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन श्री रेणुका जी तपस्थली के महान तपस्वी निर्वाण गुरु ब्रह्मलीन श्री सुंदर मुनि जी महाराज की 29वीं पुण्यतिथि पर उनके परम शिष्य गद्दी आसिन रेनेंद्र मुनी जी महाराज व उनके भक्तों के द्वारा किया गया।

यह आयोजन श्री रेणुका जी स्थित आदि उदासीन बड़ा अखाड़ा निर्वाण आश्रम में किया गया था। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्री रेणुकाजी घाटी समेत इलाके की तमाम वादियां भक्तिमय हो उठीं थी।

अंतिम दिन कथा व्यास मोहन चंद्र शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं, विवाह और सखा भक्ति (भगवान श्री कृष्ण और सुदामा, श्री कृष्ण और अर्जुन) का बखूबी वर्णन किया। उन्होंने सुदामा चरित्र का विस्तार से वृतांत सुनाया इसके साथ साथ कथा व्यास ने सर संक्षेप में श्रीमद भागवत कथा का निचोड़ और 24 गुरुओं के उपदेश के बाद कथा का विधिवत समापन किया।

इससे पूर्व शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का वर्णन किया गया था। जिसमें श्रोता भगवान श्री कृष्ण के बाराती बन कर झूमने पर विवश भी हुए। कथा व्यास अचार्य मोहन चंद्र शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का मार्मिक वृत्तांत सुना कर श्रोताओं को भावविभोर किया।

संगीतमयी इस भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ का श्रद्धालुओं ने जमकर रसपान किया। कथा का समापन के मौके पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। 25 मार्च से चल रही कथा के दौरान हर दिन यहां भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें प्रतिदिन सैकड़ो की तादाद में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

बता दें कि श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ का विचार गोविंद मुनि महाराज ने अपने गुरू सुंदर मुनि महाराज के श्री चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बनाया था। तब से हर साल श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। 2012 से महात्मा रेनेंद्र मुनि महाराज इस आश्रम में गद्दी पर विराज मान हैं।

इस दौरान से आश्रम में इस कथा का आयोजन निरंतर किया जा रहा है। इस मौके पर श्री रेणुकाजी नगरी के गुरु भक्त रामेंद्र वालिया, रामरतन चंद्र मोहन बाबा, गोपाल गुरु राजू शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

बता दें कि भगवान परशुराम जी की माता और पिता की तपस्थली कहलाने वाली श्री रेणुका जी में निर्वाण जी यह आश्रम स्थित है। महान तपस्वी महात्मा सुंदर मुनि जी के चमत्कारों के किस्से आज भी भक्तों को अचंभित कर देते हैं।

बताते हैं कि आश्रम में होने वाले विशाल भंडारे में एक बार तेल घी खत्म होने पर शिष्यों ने गुरु के आशीर्वाद से झील के पानी में ही पूरियां तल कर श्रद्धालुओं को खिलाई थी।

आज भी ऐसे गुरु भक्त मौजूद है जिन्होंने महात्मा सुंदर मुनि जी को श्री रेणुका झील के पानी पर नंगे पांव चलते देखा था। मंदिर के प्रांगण में गुरु की जीवंत प्रतिमा और उनका धूना आज भी मौजूद है।


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