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नाहन जेल से चार कैदियों को आजीवन कारावास से मिली रिहाई

Shailesh Saini | 25 नवंबर 2025 at 9:55 pm

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प्री मैच्योर पॉलिसी के तहत जेल में गुड कंडक्ट के साथ रिहाई के लिए अब देना होगा श्योरिटी बॉन्ड भी

नाहन

​जिला सिरमौर स्थित प्रदेश की आदर्श केन्द्रीय कारागार नाहन से आजीवन कारावास भुगत रहे चार कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया है। जेल विभाग से मिली आधिकारिक पुष्टि से पता चला है कि सरकार की प्री मैच्योर रिलीज़ के तहत 6 आजीवन कारावासियों की अनुशंसा जेल विभाग से स्टेट सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को भेजी गई थी।

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​बता दें कि यह अनुशंसा सज़ा के 14 वर्ष पूरे किए जाने के बाद ही भेजी जाती है। यह अनुशंसा उन्हीं कैदियों की भेजी जाती है जिनका जेल में बिताया गया समय साफ सुथरे आचरण वाला रहा हो। जिला सिरमौर स्थित प्रदेश की आदर्श केंद्रीय कारागार नाहन से आजीवन कारावास भुगत रहे ऐसे 6 कैदियों की रिहाई की संस्तुति सरकार को भेजी गई थी जिनका गुड कंडक्ट के साथ सज़ा के चौदह वर्ष जेल में पूरे हो चुके थे।

​इन 6 कैदियों में से चार कैदियों की तमाम औपचारिकताओं के पूर्ण होने के बाद उन्हें कारागार से मुक्त कर दिया गया है। जबकि छत्तीसगढ़ और अमृतसर के दो कैदियों कि उनके क्षेत्र के कंसर्न डीसी से श्योरिटी बॉन्ड की रिपोर्ट अभी तक जेल विभाग के पास नहीं पहुंची है। अब जैसे ही कंसर्न डीसी की रिपोर्ट आती है, उसके बाद बाकी दो कैदियों की भी रिहाई की जाएगी।

​प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन चार आजीवन कारावास भुगत रहे कैदियों की रिहाई के आदेश आए हैं उनमें से एक सिरमौर, बिहार, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला का है। जेल विभाग के द्वारा छः और ऐसे कैदियों की रिहाई की संस्तुति प्रीमैच्योर रिलीज के लिए तैयार की गई है जो अपनी सज़ा के चौदह वर्ष लगभग पूरे कर चुके हैं।

​रिहाई प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश

​आजीवन कारावास में प्री मैच्योर रिलीज़ के लिए बेहतर आचरण वाले कैदियों की स्टेट सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के लिए जेल विभाग के द्वारा रिपोर्ट तैयार कर एडीजी जेल को भेजी जाती है। एडीजी जेल इस रिपोर्ट को सेक्रेटरी होम की अध्यक्षता में बनाई गई स्टेट सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के लिए भेजते हैं।

इस बोर्ड में मंजूरी के बाद रिपोर्ट को कैबिनेट में भेजा जाता है। सरकार द्वारा कैबिनेट में रखे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद आजीवन कारावास वाले कैदियों की रिहाई के आदेश जारी किए जाते हैं।

​मगर अब कैबिनेट में लिए गए निर्णय के बाद भी एक नया आदेश भी जारी किया गया है। इस नई कंडीशन में कैदी के द्वारा दस हज़ार का श्योरिटी बांड कंसर्न डीसी के पास जमा कराना होता है। जैसे ही डीसी की रिपोर्ट जेल विभाग को मिलती है उसके बाद ही कैदी की रिहाई संभव हो पाती है।

​सुप्रीम कोर्ट ने समय से पहले रिहाई (प्री-मैच्योर रिलीज़) के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकारों को ऐसे मामलों में मानवतावादी दृष्टिकोण,

अपराध की गंभीरता, जेल में कैदी के आचरण और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे सभी कारकों पर विचार करना चाहिए। राज्य सरकारें दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 432 के तहत सज़ा माफ़ कर सकती हैं।

​खबर की पुष्टि करते हुए सुपरिंटेंडेंट सेंट्रल जेल नाहन, भानुप्रकाश वर्मा ने बताया कि हत्या के आरोप में आजीवन सज़ा काट रहे चार कैदियों को तमाम औपचारिकताओं के बाद रिहा कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि दो ऐसे और आजीवन कारावासी हैं जिनकी संबंधित क्षेत्र के डीसी की रिपोर्ट अभी उन्हें नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि जैसे ही डीसी की रिपोर्ट उन्हें मिलती है अन्य दो कैदियों को भी रिहा कर दिया जाएगा जिनकी रिहाई कैबिनेट में मंजूर हुई है।

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