डीआरडीओ और आईआईटी मंडी के बीच हुए समझौते के बाद अब रक्षा क्षेत्र के लिए उन्नत तकनीक और अत्याधुनिक सामग्री के विकास पर तेज़ी से काम होगा। संस्थान का उद्देश्य भारतीय सेना की क्षमता बढ़ाने और विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम करने की दिशा में शोध को मजबूत करना है।
मंडी
एमओयू के तहत रक्षा तकनीक पर केंद्रित शोध
डीआरडीओ और मंडी आईआईटी के बीच हुए एमओयू के तहत संस्थान भारतीय सेना के तीनों अंगों की जरूरतों के अनुरूप उपकरण और तकनीक विकसित करेगा। सुरक्षा कारणों से यह खुलासा नहीं किया गया कि किस विशेष तकनीक पर कार्य होगा, लेकिन लक्ष्य रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ाना है।
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उन्नत सामग्री और हथियार निर्माण पर जोर
डीआरडीओ के उच्च ऊर्जा प्रणाली एवं विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. जगन्नाथ नायक ने बताया कि संगठन देश के 19 स्थानों पर उन्नत सामग्री और आधुनिक हथियारों के लिए आवश्यक कम्पोनेंट्स पर शोध करा रहा है। मंडी आईआईटी का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि यह सुरक्षा उपकरण, हथियार निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री और तकनीकी नवाचार के लिए सक्षम केंद्र बन रहा है।
आईआईटी मंडी की तैयारी और मिशन
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि संस्थान हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है और यह रक्षा क्षेत्र में अचूक तकनीक विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि शोध के माध्यम से देश की सुरक्षा चक्र को और मज़बूत किया जाएगा।
विदेशी निर्भरता खत्म करने की चुनौती
डीआरडीओ अधिकारियों के अनुसार भविष्य में आधुनिक तकनीक उपलब्ध तो होगी, लेकिन हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री कोई भी देश साझा नहीं करता। इसी चुनौती से पार पाने के लिए देश में ही उन्नत सामग्री और तकनीक के विकास पर जोर दिया जा रहा है।
आपदाओं पर शोध के लिए टाटा ट्रस्ट का सहयोग
मंडी आईआईटी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप, बाढ़, बादल फटने और भू-स्खलन पर शोध करेगी। इसके लिए टाटा ट्रस्ट ने 20 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है, जिससे आपदा प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण अध्ययन को गति मिलेगी।
छात्रों के लिए डीआरडीओ ने खोले रिसर्च अवसर
आईआईटी मंडी के 13वें दीक्षांत समारोह में डीआरडीओ प्रतिनिधियों ने इंजीनियरिंग छात्रों के लिए शोध कार्यक्रमों के व्यापक मौके खोले। संगठन ने 12 करोड़ रुपये तक की राशि उन युवा इंजीनियरों को प्रदान करने की घोषणा की है जो भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तकनीक विकसित करने के लिए शोध करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया तभी सफल होगा जब युवा शोध में आगे आएंगे।
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