चूड़धार चोटी पर ठंड से दम तोड़ रहे गोवंश की किसी को परवाह नहीं

हर साल बर्फ से ढकी घाटी मे दम तोड़ रहे कईं बेजुबान

HNN / संगड़ाह

 बर्फ से ढकी चूड़धार घाटी में स्वार्थी लोगों द्वारा छोड़े गए बेजुबान पशु लगातार बढ़ती ठंड के बीच दम तोड़ रहे है। चोटी से लगातार गोवंश की बेबसी की हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आ रही है और हिमाचल सरकार व जिला प्रशासन के यहां गोशाला निर्माण व गोरक्षा के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार के संचालन की व्यवस्था हालांकि एसडीएम चौपाल देखते हैं, मगर घाटी का अधिकतर जंगल व नौहराधार से जाने वाला मुख्य रास्ता एसडीएम संगड़ाह के अधिकार क्षेत्र मे आता है।

करीब 12 हजार फुट ऊंची चूड़धार चोटी पर गत माह से 3 बार हिमपात हो चुका है। ऐसे मे हाड़ गला देने वाली ठंड में कुछ लोगों द्वारा पशुओं को तिल तिल कर मरने के लिए छोड़ा गया है। हैरानी इस बात की है कि, यहां जो पशु घूम रहे उसमें अधिकतर ऐसे भी पशु है जिनमें टैग लगे हुए हैं।‌ ऐसे में प्रशासन चाहे तो आसानी से गोवंश छोड़ने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। सरकार व प्रशासन के साथ-साथ इस आस्थास्थल मे गोरक्षक दल जैसे संगठन भी इन पशुओं की मदद की कोशिश नही कर रहे हैं।

शिरगुल देवता मे आस्था रखने वाले श्रद्धालू भी यहां गोवंश की मृत्यु से दुखी है। चूड़धार घाटी से जो तस्वीरें प्राप्त हुई है उससे कहीं न कहीं प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते है, क्योंकि प्रशासन चाहे तो इनकी जान बचाई जा सकती है और इनके मालिकों का भी पता चल सकता है। चूड़धार के साथ लगती नौहराधार पंचायत मे इन दिनों गेहूं व लहसुन की फसल को भी आवारा पशु नुक्सान पंहुचा रहे है। स्थानीय किसानों को अपने खेत पर रहकर इनसे रखवाली करनी पड़ रही है।

किसानों का कहना है कि वर्तमान में गेहूं, लहसुन व सरसों आदि की फसलों को बहुत हानि पहुंचा रहे हैं। एसडीएम संगड़ाह डॉ विक्रम नेगी ने बताया कि, वह आज बीडीओ संगड़ाह तथा तहसीलदार व पशुपालन अधिकारी नौहराधार को इस मामले मे नियमानुसार कार्यवाही के लिखित निर्देश दे चुके हैं।


Posted

in

,

by

Tags: