हिमाचल नाऊ न्यूज, नाहन
प्रदेश सरकार ने राज्य के राजस्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खनिज दोहन की गतिविधियों को तेज़ कर दिया है। सरकार विधानसभा में साझा की गई विस्तृत जानकारी के माध्यम से स्पष्ट किया है कि वह उन सभी क्षेत्रों में प्रयास कर रही है जहाँ खनिजों की संभावनाएँ मौजूद हैं ताकि राजस्व में बढ़ोतरी का मार्ग प्रशस्त हो सके।
सिरमौर में 79 खनन पट्टे स्वीकृत
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सरकारी जानकारी के अनुसार, जिला सिरमौर में 20 नवंबर 2025 तक लघु खनिजों के उत्खनन के लिए कुल 79 खनन पट्टे स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 70 पट्टे स्टोन क्रशर इकाइयों को आवंटित किए गए हैं, जबकि शेष 9 पट्टे खुली विक्री (ओपन सेल) के लिए प्रदान किए गए हैं। हालांकि, सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि स्वीकृत पट्टों में से 14 पर औपचारिकताएं पूरी न होने के कारण फिलहाल कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
इसके बावजूद, सरकार ने स्पष्ट किया है कि लघु खनिज की किसी भी खान को बंद करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं, बल्कि विनियमन नियमों के अनुसार सख्ती जारी है।
चूना पत्थर का वर्गीकरण बदला
केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए 13 अक्तूबर 2025 को आदेश जारी कर सभी प्रकार के चूना पत्थर को मुख्य खनिज घोषित कर दिया है। इस घोषणा का सीधा अर्थ है कि अब चूना पत्थर खदानों का आवंटन केवल नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जा सकेगा।
वर्तमान में, चूना पत्थर की खानों की नीलामी के लिए दो ब्लॉक अधिसूचित किए गए हैं। इनमें सोलन जिले में अर्को चूना पत्थर भंडार और शिमला जिले में साल बाग चुना पत्थर भंडार शामिल हैं।
नीलामी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, उच्चतम सफल बोलीदाता के पक्ष में खनन पट्टा निष्पादन हेतु सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।
सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रतिबंध लागू
सरकार ने बताया कि 3 अगस्त 2021 की अधिसूचना के तहत प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे ऊना, कांगड़ा (मंड, इंदौरा, फतेहपुर), सोलन (नालागढ़) और सिरमौर (पांवटा साहिब) के नदी तलों में खनिजों की खुली बिक्री हेतु खनन पट्टों की मंजूरी पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है।
लघु खनिजों का विनियमन उद्योग विभाग की भौमिकीय शाखा द्वारा हिमाचल प्रदेश गौण खनिज (रियायत) एवं अवैध खनन रोकथाम नियम, 2015 के तहत किया जाता है, जबकि मुख्य खनिजों का विनियमन खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत होता है, जिसमें संशोधन करने की शक्ति केवल केंद्र सरकार के पास है।
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