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आईआईटी मंडी में ‘आईडिया मैटर मोस्ट’ टॉक शो में बोले गोकुल बुटेल

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 23 फ़रवरी 2025 at 7:16 pm

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Himachalnow / मंडी

एआई और डिजिटल तकनीक से हिमाचल के विकास को नई दिशा

आईआईटी मंडी में आयोजित ‘आईडिया मैटर मोस्ट’ टॉक शो में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (नवाचार, डिजिटल प्रौद्योगिकी और गवर्नेंस) गोकुल बुटेल ने बतौर विशिष्ट अतिथि भाग लिया। कार्यक्रम में आईआईटी के निदेशक लक्ष्मीधर बेहरा और स्पेस रोबोटिक्स एवं एआई के सीटीओ डॉ. अमित कुमार पांडे भी उपस्थित रहे। इस आयोजन की थीम ‘मानव-एआई भागीदारी: एक साथ मिलकर कल को आकार देना’ थी।

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गोकुल बुटेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग को सरकारी पाठ्यक्रमों में शामिल कर युवाओं को दक्ष बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एआई के उपयोग से प्रशासन को अधिक पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाया जा सकता है।

शासन में एआई की भूमिका

बुटेल ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी शक्ति है जो प्रशासन को कुशल और पारदर्शी बना सकती है। उन्होंने बताया कि एआई आधारित शिकायत निवारण प्रणाली से लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान संभव होगा। इसके अलावा, सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भी एआई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कृषि और शहरी विकास में एआई का प्रभाव

उन्होंने बताया कि एआई-संचालित सटीक खेती किसानों को मौसम की भविष्यवाणी, मिट्टी के विश्लेषण और कीट नियंत्रण में सहायता कर सकती है, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा। यह तकनीक आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी कर फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद कर सकती है। शहरी नियोजन के क्षेत्र में, ट्रैफिक पैटर्न, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा खपत का विश्लेषण करके शहरों को अधिक सुव्यवस्थित बनाया जा सकता है।

हिमाचल में आपदा प्रबंधन में एआई का योगदान

बुटेल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, जहां भूस्खलन, बादल फटने, भूकंप और जंगल की आग जैसी घटनाएं आम हैं। एआई इन आपदाओं की पूर्व चेतावनी देकर संभावित खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।

मशीन लर्निंग मॉडल जलवायु परिवर्तन, भूकंपीय गतिविधियों और उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण कर जोखिम कारकों का पता लगाकर समय पर अलर्ट जारी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एआई आधारित भूस्खलन पूर्वानुमान प्रणाली मंडी, कांगड़ा, किन्नौर और चंबा जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रभावी साबित हो सकती है।

आपातकालीन सेवाओं में एआई का उपयोग

बुटेल ने कहा कि एआई-संचालित ड्रोन और उपग्रह इमेजरी से प्रभावित क्षेत्रों का वास्तविक समय में डाटा उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे राहत और बचाव कार्यों को प्रभावी रूप से संचालित किया जा सकेगा। भारी बर्फबारी के दौरान यह तकनीक सड़क मार्गों की स्थिति का विश्लेषण कर आपातकालीन सेवाओं के लिए सर्वोत्तम मार्ग सुझा सकती है।

एआई आधारित चैटबॉट और वॉयस असिस्टेंट स्थानीय भाषाओं में जानकारी देकर लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने और आपातकालीन संपर्क सूत्र प्रदान करने में सहायता कर सकते हैं।

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