Remove the demerits and adopt the virtues - Satguru Sudiksha Ji Maharaj

अवगुणों को दूर करके सद्गुणों को अपनाये- सत्गुरु सुदीक्षा जी महाराज

HNN / सोलन

“मानव मन में उपस्थित नकारात्मक भावों को त्यागकर केवल सद्गुणों पर ही ध्यान केन्द्रित करें।” उक्त अमोलक वचन सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा ठोडो ग्राउंड, राजगढ़ रोड़ सोलन में व्यक्त किये गये। सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने मानव मन की अवस्था का जिक्र करते हुए फरमाया कि मानव की अवस्था ऐसी होती है कि उसमें अच्छाई एवं बुराई दोनों ही भाव समाहित होते है पर यह उस पर निर्भर करता है कि वह किसका चुनाव करें। किन्तु मन अहंकार वश दूसरों में केवल कमियों को ही देखता है अच्छाईयों को नजर अंदाज करता है।

इसके विपरीत संतों का स्वभाव तो सबके लिए प्रेम वाला ही होता है। सत्संग में जब आये तो बुराईयों को छोड़कर अच्छाईयों को अपने साथ लेकर जाये और सबके लिए समदृष्टि का भाव ही अपनाये। सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि सभी के प्रति प्रेम, दया, करुणा, सहनशीलता का भाव मन में अपनाते हुए संसार को आनन्दित बनाया जा सकता है। निस्कार से जुड़ाव ही मानव जीवन का मूल उद्देश्य है और इससे ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। भक्तजन हमेशा ही अपने जीवन में जब परमात्मा को प्राथमिकता देते है तब मन भक्ति में लीन रहता है।

सत्गुरू माता जी ने अपने पावन प्रवचनों में कहा कि गृहस्थ एवं समाज में रहकर, भक्ति करते हुए परोपकार वाला जीवन जीना है। प्रदूषण अंदर हो या बाहर दोनों ही हानिकारक है इसका जिक्र करते हुए कहा कि बाहरी प्रदूषण यदि है तो ऑक्सीजन की कमी होने पर वृक्ष लगाकर उसकी पूर्ति की जा सकती है किन्तु आंतरिक प्रदूषण तो संतो का संग करने से ही संभव है ऐसा भक्ति भरा जीवन ही हम सभी ने जीना है।

अंत में समस्त संतों के लिए सत्गुरू माता जी ने सुखमय एवं मंगलमय होने की कामना करी। सोलन के जोनल इंचार्ज विवेक कालिया ने सत्गुरु माता जी के प्रति हृदय से आभार प्रकट किया और साथ ही प्रशासन एवं स्थानिक सज्जनों के सहयोग के लिए धन्यवाद भी किया। इस समागम में सोलन एवं उसके आसपास के क्षेत्रों से सभी संतों ने हिस्सा लेकर सत्गुरु माता जी के पावन प्रवचनों द्वारा स्वयं को निहाल किया तथा उनके दिव्य दर्शनों के उपरांत सभी के हृदय में अपने सत्गुरू के प्रति कृतज्ञता का भाव था।


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