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हिमाचल में 500 करोड़ रुपए की लागत से संवरेंगे ब्रिटिश काल में बने रूट

HNN/ शिमला

हिमाचल प्रदेश में जो भी ब्रिटिशकालीन रूट हैं, उनको संवारा जाएगा। बता दें सैकड़ों ब्रिटिशकालीन रूटों की मरम्मत कर इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाकर पर्यटकों को आकर्षित करना है। इसे न केवल सूबे के अनछुए पर्यटन स्थल विकसित होंगे, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। बता दें वन विभाग के कैंपा प्रोजेक्ट से करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कुल्लू में बागासराहन से लेकर बठाहड़ और मठासौर के लिए ब्राइडल पाथ का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

तैयार होते ही इलेक्ट्रिक वाहन (गोल्फ कार्ट) को चलाया जाएगा। प्रदेश को कैंपा के तहत 1600 करोड़ की राशि मंजूर हुई है। सभी रूटों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इन रूटों को ब्राइडल पाथ बनाकर पर्यटकों और आम लोगों की सुविधा के लिए इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग कुल्लू ने दो वाहनों को खरीदने का ऑर्डर भी दे दिया है। जो जल्द ही दिल्ली से कुल्लू पहुंचेंगे। सूबे में ब्रिटिश काल में कितने रूट हैं, इसकी सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है।

कुल्लू में करीब 150 ब्रिटिशकालीन रूट हैं और इसकी फाइल शिमला भेज दी है। हालांकि कुल्लू जिले में दो रूटों पर काम भी शुरू हो गया है। इसमें कुल्लू की लगघाटी का ब्रिटिशकालीन रूट मठासौर और बाह्य सराज को जोड़ने वाले बशलेउ दर्रा से होकर बागासराहन से बठाहड़ तक निर्माण किया जा रहा है। वन विभाग कुल्लू ने जिन दो इलेक्ट्रिक वाहनों का ऑर्डर दिया है। उन्हें अगस्त तक मठासौर के लिए चलाने की तैयारी चल रही है। जबकि बागासराहन से बशलेउ तक दशहरा से पहले ब्राइडल पाथ को तैयार कर इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का लक्ष्य रखा है।


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