HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश में सेब की उत्पादकता में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण असंतुलित पोषण प्रबंधन है। डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के मृदा वैज्ञानिक डॉ. उपेंद्र शर्मा ने बताया कि उर्वरकों की अत्यधिक, असंतुलित और अपर्याप्त खुराक से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी या विषाक्तता हो सकती है। इसलिए बगीचे की पोषण स्थिति का मूल्यांकन करना आवश्यक है।
डॉ. शर्मा ने सेब उत्पादकों को उर्वरकों के उचित और संतुलित उपयोग के लिए मिट्टी का परीक्षण कराने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि मिट्टी के नमूने लेने का सबसे अच्छा समय सेब के तुड़ान के बाद होता है। बागवान अक्टूबर में मिट्टी के नमूने ले सकते हैं। मिट्टी परीक्षण के लिए क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा में सुविधाएं हैं।
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केंद्र के सह निदेशक डॉ. दिनेश सिंह ठाकुर ने किसानों से मिट्टी परीक्षण कराने और नौणी विश्वविद्यालय द्वारा सेब के लिए उर्वरकों की दी गई अनुशंसित मात्रा को प्रयोग करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि मिट्टी परीक्षण से बगीचों की पोषण स्थिति का मूल्यांकन होगा और इससे सेब की उत्पादकता में सुधार होगा।
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