Himachalnow/शिमला
शिमला आईजीएमसी के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के शोध में बड़ा खुलासा हुआ है। शोध में सामने आया है कि प्रदेश में 25 से 55 साल के लोग आंतों के टीबी की चपेट में आ रहे हैं।
शोध में यह भी सामने आया है कि आंत के टीबी की जद्द में आए मरीजों में शुरूआत में सटीक लक्षण न होने, रोग की पहचान न होने की वजह से बीमारी के लक्षणों का अनुभव 6 माह से लेकर 2 साल तक किया गया। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बृज शर्मा और एसोसिएट प्रो. डॉ. विशाल बोध ने बताया कि जागरूकता के अभाव में इस बीमारी का पता नहीं लगता है। अगर समय रहते विभाग में उपचार करवाने आएं तो संबंधित चिकित्सक पेट के अल्ट्रासाउंड और अन्य टेस्ट करवाकर इस बीमारी का पता लगा सकते हैं।
शोध में सामने आया है कि छोटी आंत की चपेट में आए 95 फीसदी मरीजों में वजन की कमी पाई गई। वहीं 86 फीसदी मरीज पेट में दर्द, बुखार के 52 फीसदी, दस्त की शिकायत 31 फीसदी, कब्ज की 17 फीसदी और खून की उल्टी के लक्षण 8 फीसदी और दस्त में खून के 11 फीसदी लक्षण मरीजों में पाए गए। डॉ. बृज शर्मा और डॉ. विशाल बोध ने बताया कि नियमित जांच और टीबी की दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं। यह संक्रमण एक व्यक्ति से किसी दूसरे में नहीं फैलता है।