1795-96 में लड़ा गया था यह युद्ध, सिरमौर के महाराज धर्म प्रकाश ने बिलासपुर यानी कहलूर के राजा की थी मदद
हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में कई महत्वपूर्ण युद्ध हुए हैं, जिनमें से एक बैटल ऑफ चिनजियार है। यह युद्ध 1795-96 में लड़ा गया था और इसमें संसार चंद कंगड़ा और मंडी की सेना ने केहलूर और सिरमौर की सेना का सामना किया था।
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सिरमौर रियासत का इतिहास
सिरमौर रियासत हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख रियासत थी, जिसकी स्थापना 1095 में राजा रासलू ने की थी। सिरमौर रियासत का क्षेत्रफल लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर था और इसकी राजधानी नाहन थी। सिरमौर रियासत के शासकों ने हिमाचल प्रदेश के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
युद्ध की पृष्ठभूमि
संसार चंद कंगड़ा और मंडी की सेना की संख्या लगभग 22,000 थी, जबकि केहलूर और सिरमौर की सेना की संख्या लगभग 14,000 थी। केहलूर की सेना में से 9,000 सिरमौर की सेना से थे। राजा धर्म प्रकाश केहलूर की मदद के लिए आये थे।

युद्ध का वर्णन
युद्ध के दौरान, केहलूर की सेना ने अपने कमांडर मियां आग्रोटा के निर्देश पर अचानक पीछे हट गई। इससे विरोधी सेना का साहस दोगुना हो गया। सिरमौर की सेना पर दबाव बढ़ गया और राजा धर्म प्रकाश घायल हो गए। उन्हें पालकी में बैठना पड़ा, लेकिन विरोधी सेना ने उन्हें घेर लिया। पालकी के बारदार भाग गए और राजा धर्म प्रकाश अकेले ही विरोधी सेना का सामना करते रहे। उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक गोलियां चलाईं।
युद्ध के परिणाम
राजा धर्म प्रकाश का शरीर पंचपिपलू घाट में जलाया गया, जो अब भाखड़ा बांध में डूब गया है। उनकी राख नाहन भेजी गई, जहां उनकी रानी ने उनकी मृत्यु की खबर सुनकर आत्महत्या कर ली। उनका शरीर जमुना नदी के किनारे पौंटा साहिब में जलाया गया। दोनों की राख को हरिद्वार में विसर्जित किया गया था।
यह युद्ध हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है और इसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। सिरमौर रियासत के शासकों ने हिमाचल प्रदेश के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी वीरता और साहस को हमेशा याद रखा जाएगा।
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