HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर सरकारी भूमि पर अवैध ढांचों के लिए करोड़ों रुपये के मुआवजे के आवंटन का ऑडिट करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मुख्य सचिव और भूमि अधिग्रहण अधिकारी बिलासपुर को उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है जिन्होंने टैक्स अदा करने वाले लोगों के पैसे को अवैध मुआवजे में आवंटित किया।
एनएचएआई मंडी को अदालत ने सरकारी भूमि में मौजूद निर्माण कार्यों के लिए हुए मुआवजे की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन अदालत ने रिपोर्ट से असंतुष्टि जताई। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट कानून के तहत नहीं है और इसकी जिम्मेदारी एनएचएआई और प्रदेश सरकार की भी है।
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इस मामले में समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है। अदालत के आदेश की कॉपी कैग को भी भेजी गई है। समिति द्वारा दायर याचिका की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने कहा कि वे एनएचएआई की स्टेटस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं।
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