HNN/ चंबा
उपायुक्त डीसी राणा की अध्यक्षता में सीएसआईआर-हिमालयन जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से कृषि, उद्यान और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ज़िला में किसानों-बागवानों की आर्थिकी को सशक्त बनाने के लिए सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए जा रहे विभिन्न कार्यों की समीक्षा को लेकर विश्रामगृह सलूणी में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सीएसआईआर-हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार विशेष रूप से मौजूद रहे।
डीसी राणा ने बताया कि ज़िला में गत वर्ष 222 किसानों-बागवानों को विभिन्न सुगंधित फसलों के बीज और पौधे वितरित किए गए। इसके तहत 90 किलों गेंदे के फूलों का बीज,10 किलो पामरोजा, 2 किलों जर्मन कैमोमाइल, 4500 लैवेंडर के पौधे , 5500 रोजमेरी के पौधे वितरित किए गए हैं। इसमें 33 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इन पौधों को रोपित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि ज़िला में इसके तहत 405 लीटर मेरीगोल्ड के फूलों से तेल का उत्पादन किया गया।
उपायुक्त ने कृषि एवं उद्यान विभाग अधिकारियों को इन फसलों को लेकर शुरुआत में विभिन्न स्तरों पर फसल से संबंधित जानकारी और जागरूकता के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। स्थानीय किसानों-बागवानों को इन फसलों के वैज्ञानिक स्तर पर पैदावार को लेकर और बढ़ावा देने के लिए बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सलूणी स्थित चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान केंद्र में आईएचबीटी के सहयोग से विभिन्न सुगंधित फसलों की प्रदर्शन इकाई स्थापित की जाए।
बैठक में सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने उपमंडल सलूणी, पांगी और तीसा के लिए हींग के पौधे उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया। बैठक में उपमंडल भटियात के तहत इस वर्ष 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल को जंगली गेंदे की पैदावार के तहत लाने का निर्णय भी लिया गया।