HNN/ नाहन
साधारण व्यक्तित्व और अपने ही दम पर मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू के मंत्रिमंडल में मंत्री भी युवा हो सकते हैं। असल में कांग्रेस पहले कोई तमाम गलतियों से नसीहत लेते हुए लंबी व मजबूत पॉलिसी के तहत पारी खेलने की तैयारी कर चुकी है। इसके साथ साथ गुटबाजी का पटाक्षेप करते हुए सबसे पहले विक्रमादित्य को कैबिनेट में जिम्मेदार पद सौंपा जा सकता है। वही सुखविंदर सिंह सुक्खू के काफी नजदीकी माने जाने वाले जिला सिरमौर के मृदुभाषी हर्षवर्धन चौहान का भी मंत्रिमंडल में शामिल होना लगभग तय है। अब सवाल उठता है सोलन विधानसभा क्षेत्र का।
इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का पूरा सुपड़ा साफ हुआ है। ऐसे में सोलन से कश्यप परिवार की राजनीति पर फिर से सुलतानपुरी परिवार को महत्व मिल सकता है। स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी के बाद विनोद सुल्तानपुरी जोकि युवा है और एक मंत्री को उन्होंने 6768 मतों से हराया भी है। कांग्रेस में लंबी पारी खेलने के लिए इस युवा नेता को धनीराम शांडिल की जगह मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि कर्नल धनीराम शांडिल वरिष्ठ कांग्रेसी नेता है मगर अब उम्र दराज हो चुके हैं। ऐसे में उनकी छत्रछाया के साथ विनोद सुल्तानपुरी सोलन जिला में कांग्रेस के गढ़ को मजबूती दे सकते हैं।
तो वही धर्मशाला से सुधीर शर्मा की पार्टी के प्रति निष्ठा को फिर से जगह मिल सकती है। कांगड़ा को अभिमान दिया जाना राजनीतिक समीकरणों को दुरुस्ती भी देता है। ऐसे में चंद्र कुमार चौधरी की भी लॉटरी लग सकती है। वही सुजानपुर से राजेंद्र राणा का मंत्रिमंडल में शामिल होना भी लगभग तय है। राजेंद्र राणा एक कुशल रणनीतिकार हैं। उनके राजनीतिक गुरु माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से उन्होंने कई कूटनीतिक अस्त्र शस्त्र चलाने सीखे हैं। जिसका प्रयोग सोलन नगर निगम के चुनावों में देखने को मिल चुका है। इसी प्रकार एप्पल बेल्ट ऊपरी शिमला के लिए एक निर्णायक भूमिका निभाती है।
ऐसे में वीरभद्र घुट में हाशिए पर रहे राम लाल ठाकुर के पोते रोहित ठाकुर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। यही नहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और चंद्रशेखर को प्रदेश कांग्रेस सरकार में कोई बड़ा जिम्मेवार पद दिया जा सकता है। अब यदि बात की जाए जिला सिरमौर मुख्यालय की नाहन विधानसभा सीट की तो यहां भाजपा में चाणक्य माने जाने वाले सबसे कद्दावर नेता एक कुशल रणनीतिकार राजीव बिंदल को अजय सोलंकी ने मात दी है। अजय सोलंकी युवा नेता है और सुखविंदर सिंह सुक्खू के सबसे करीबी माने जाते हैं। ऐसे में भले ही उन्हें मंत्रिमंडल में जगह ना मिल पाए मगर उन्हें कोई भी महत्वपूर्ण विभाग सौंपा जा सकता है।
तो यदि सिरमौर में भाजपा के दिग्गजों की यदि घेराबंदी की बात की जाए तो सुखविंदर सिंह सुक्खू सोलंकी के लिए कैबिनेट में भी जगह बनवा सकते हैं। हालांकि सोलंकी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बने हैं तो वह खुद भी मुख्यमंत्री के समान ही हुए हैं। अजय सोलंकी का मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना कूटनीतिक और जातीय समीकरणों के आधार पर जरूरी माना जा सकता है। इस विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोट की वजह से सोलंकी को जीत मिली है। ऐसे में कांग्रेस की भविष्य की राजनीति को लेकर सोलंकी को और अधिक मजबूत किया जाना कूटनीतिक नजरिए से महत्वपूर्ण हो जाता है।
बड़ी बात तो यह है कि अजय सोलंकी ने एक बेहतर नेता की भूमिका भी निभाई है। जीत के बाद उन्होंने अपने समर्थकों को बिल्कुल सख्त लहजे में संदेश दिया कि बिंदल या किसी के खिलाफ किसी भी प्रकार की टिप्पणियां कटाक्ष बिल्कुल ना किया जाए। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि सोलंकी हर नजरिए से संतुलन बनाते हुए इन 5 सालों में पार्टी और खुद को मजबूत करने में ज्यादा ध्यान देंगे। मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री का पद सौंप कर कांग्रेस पहले ही जातीय समीकरणों को यानी ब्राह्मणों को खुश कर चुकी है। कहा जा सकता है 2027 तक कांग्रेस हर तरह से अपने आप को मजबूत कर निश्चित ही अगली पारी दमदार तरीके से खेलने को लेकर अभी से ही अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू करेगी।