धार्मिक मेले और नवरात्रों के पर्टयन के दम पर खुद के गाल बजा रहा विभाग
HNN/नाहन
प्रदेश की जीडीपी में जहां पर्यटन एक प्रमुख स्त्रोत माना जाता है, लेकिन जिला सिरमौर पर्यटन की अपार संभावनाओं को बावजूद टूरिज्म के नजरिये से दोहन कर पाने में नाकाम साबित हो रहा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला सिरमौर में अप्रैल से जून तक विभाग के पास 6,15,713 सैलानियों का आंकड़ा उपलब्ध है, जिसका मात्र एक फीसदी ही सैलानी ऐसा है जो केवल प्रकृति की सुंदरता को निहारने यहां पहुंचा।
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मूलभूत सुविधाओं के अभाव में देश और विदेश का पर्यटन सिरमौर से मुंह और मोह मोड़ चुका है। जिला में नवरात्रों के दौरान मंदिरों, मेले और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान ही धार्मिक पर्यटक यहां पहुंचा है। लिहाजा किसी भी नजरिये से टूरिज्म विभाग को इसका श्रेय नहीं दिया जा सकता। चूंकि मेले और त्योहार हमारी परंपराओं से जुड़े हैं, जिनमें देश व प्रदेश से आने वाला सैलानी केवल इसकी रस्म अदायगी के लिए पहुंचता है।

हैरानी की बात ये है कि यहां होने वाले प्रमुख मेलों और उत्सवों में भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी महसूस की जाती रही है। वहीं पर्यटन की अपार संभावओं के बावजूद न तो प्रचार, ना ही टूरिज्म के नए आयामों के साथ इसका दोहन हो पाया है।
सैलानियों की बेरूखी की ये है बड़ी वजह…
जिला सिरमौर में न तो धार्मिक और ना ही सामान्य पर्यटक यहां की मूलभूत सुविधाओं को लेकर खुश हैं। सिरमौर के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों क आपस में जोड़ने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है। सड़कों के किनारे बैरिकेड्स न होने से पर्यटक को यहां अपनी जान का जोखिम बना रहता है। जिला में कहीं भी टू स्टार, थ्री स्टार और फाइव स्टार जैसी सुविधा वाला कोई लग्जरी होटल नहीं है।
यही नहीं यहां के होटलों और रेस्तरां में मिलने वाले फूड की क्वालिटी पर्यटन अनुरूप हाईजीन नहीं है। इससे विदेशी सैलानी अकसर यहां के खाने से मुंह मोड़ता है। जिला सिरमौर में होम स्टे टूरिज्म की भी पार संभावनाएं हैं, लेकिन विभाग के पास 195 केस अब भी लंबित हैं। इनमें कई छोटी-बड़ी आपत्तियां लगी हैं। पर्यटन विभाग इन आपत्तियों को दूर करा पाने में भी फिसड्डी साबित हो रहा है।
मौजूदा समय में जिले में 142 होटल, 119 होम स्टे, 21 ट्रैवल एजेंसियांं और इतने ही टूरिस्ट गाइड हैं। इसके साथ साथ जिले में 99 रेस्तरां हैं। इन सभी होटलों में केवल जमटा (ग्रैंड व्यू) और कालाअंब (ब्लैक मैंगो) के दो होटल ही पर्यटकों की पहली पसंद हैं।
ये हैं सिरमौर के प्रमुख पर्यटन स्थल…
जिला सिरमौर में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रामसर साइट वाली श्री रेणुकाजी वेटलैंड झील है। जहां पर हर साल अंतरराष्ट्रीय मेला लगता है। वहीं अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एशिया का सबसे बड़ा सुकैती फॉसिल पार्क भी यहां है। इसके अलावा श्रृंग ऋषि की गुफाएं। भूर्शिंग देवता का मंदिर, चूड़धार चोटी (शिरगुल मंदिर), नाहन शहर के ऐतिहासिक धरोहरें, पांवटा साहिब गुरूद्वारा, सिरमौर रिसायत की प्राचीन राजधानी सिरमौरी ताल सहित पांवटा साहिब व कटासन में वो स्थान हैं, जहां बड़े ऐतिहासिक युद्ध भी लड़े गए हैं।
इसके अलावा मां बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर, ऐतिहासक गुरूद्वारा टोका साहिब, सतयुगकालीन स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी पैड़ीवाला, गोरखा आक्रमण का सबसे बड़ा प्रतीक जैतक फोर्ट भी सिरमौर में है। वहीं सिंबलबाड़ा सेंक्चुरी, चूड़धार सेंक्चुरी के साथ साथ जिले में ऐसे दर्शनीय स्थल भी हैं, जो सीधा लोगों को प्रकृति से जोड़ते हैं। जिले के हरिपुरधार, नौहराधार, राजगढ़ व शिलाई जैसे ऊंचाई वाले स्थानों पर कई ऐसे मनोरम स्थान हैं, जिनका आज तक कोई दोहन नहीं किया गया।
सरकार की बड़ी योजनाएं भी हैं, जो धरातल पर उतरने का इंतजार कर रही है। पैराग्लाइडिंग सिरमौर में नहीं हो पा रही। रोप वे की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है न जल क्रीडाओं संबंधी पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुल मिलाकर जिला सिरमौर पर्यटन विभाग की नाकामी का खामियाजा भुगत रहा है।
अतिरिक्त जिला पर्यटन अधिकारी कंचन बेदी ने बताया कि सिरमौर की सड़कों की हालत बेहद खराब है। इस कारण पर्यटक यहां आने से कतराता है। विभाग की ओर से जिले में पर्यटन को पंख लगाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिन्हें धरातल पर उतारने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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