सातवां दिन – मां कालरात्रि की पूजा, जानें मां के कालरात्रि स्वरूप का रहस्य और पूजन विधि

HNN / नाहन

मंगलवार यानि आज नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजन का विधान है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी की विशेष कृपा बनी रहती है। मां कालरात्रि के स्वरूप की बात करे तो माँ के चार हाथ हैं, उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं।

मां कालरात्रि पूजन विधि-
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। माता रानी को अक्षत, पुष्प, धूप, गंधक और गुड़ आदि का भोग लगाएं। मां कालरात्रि को रातरानी पुष्प अतिप्रिय है। पूजन के बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए व अंत में आरती उतारें।

मां के कालरात्रि स्वरूप का रहस्य-
सप्तमी का दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। ये मां दुर्गा का रौद्र रूप माना जाता है। मां कालरात्रि के नाम का अर्थ है ‘काल’ अर्थात समय, और ‘रात्रि’ का मतलब होता है रात। पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने शुंभ और निशुंभ असुरों को मारने के लिए माता को स्वर्ण अवतार दिया था। उसी दिन से मां के इस स्वरूप को कालरात्रि के नाम से जाना जाने लगा।इन्हें शक्ति के एक और रूप देवी काली के नाम से भी जाना जाता है।


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