HNN/शिमला
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई) ने शिमला के बड़ागांव और जुन्गा में ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर सर्दियों में हरे चारे की कमी को दूर करने का प्रयास किया है। इस प्रशिक्षण में ग्रामीणों को साइलेज बनाने की प्रक्रिया सिखाई गई, जिससे वे सर्दियों में भी पशुओं के लिए पोषक चारा तैयार कर सकें। रझाना पंचायत के बड़ागांव, पट्टी और सलांज के 38 ग्रामीणों और जुन्गा के 40 ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया गया है।
एचएफआरआई ने बड़ागांव के पास व्यूल, कचनार, खड़क और बान के 800 से अधिक पौधे रोपकर चारा बैंक की स्थापना की है। यह चारा बैंक भविष्य में पशुपालकों को हरे चारे की आपूर्ति करेगा। साइलेज बनाने के लिए 100 किलो हरे चारे में 2-3 किलो गुड़ और 50 ग्राम नमक मिलाकर एयरटाइट थैलियों में बंद किया जाता है। यह प्रक्रिया 45-60 दिनों में पूरी होती है और सर्दियों में पशुओं के लिए पौष्टिक चारा तैयार होता है।
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एचएफआरआई के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीणों को चारा बैंक का महत्व समझाना और साइलेज बनाने की व्यावहारिक विधि की जानकारी देना है। इससे सर्दियों में भी पशुओं को पौष्टिक चारा मिल सकेगा। साइलेज दुधारू पशुओं के लिए बेहतरीन आहार है और इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
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