HNN/ नाहन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति जुटने से जुड़े आरोपों की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित गृह सचिव और स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने उक्त प्रतिवादियों को 29 अगस्त तक जवाब दायर करने के आदेश जारी किए हैं। बता दें कि वेदांता फाउंडेशन के अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा द्वारा जनहित में दायर याचिका में पूर्व ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह के खिलाफ आरोप लगाए थे।
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लगाए गए आरोपों में बताया गया कि अपने लगभग दस साल के कार्यकाल में पूर्व दवा नियंत्रक ने अपने महत्वपूर्ण दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। याचिका में बताया गया है कि लगभग 10 साल के कार्यकाल में नवनीत मारवाह ने पूरे प्रदेश को अपने लालच से निम्न स्तर पर लाकर रख दिया है।
इस कारण प्रदेश से दवा कारोबारियों ने या तो पलायन कर लिया या अपने कारोबार बंद कर दिए। याचिका में बताया गया कि प्रार्थी ऊंची पहुंच भी रखता था कि पीएमओ द्वारा निर्देश के बावजूद इसके खिलाफ आज तक न तो विभाग ने और न ही किसी एजेंसी ने कोई कार्यवाही की है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि उसने अपनी बेटी की शादी का समारोह 3 जगह रखा, जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए। इसके लिए उसने करोड़ों रुपए का शगुन शादी के दौरान लिया। फार्मा इंडस्ट्री पर दबाव बनाया गया और उन्हें 3 तरह के शगुन देने बारे बोला गया जिसमें 51000 से 125000 रुपए तक देने को कहा गया। परंतु शिकायत के बावजूद इसकी भी ऊंची पहुंच के चलते कोई भी जांच नहीं हुई।
मामला अब प्रदेश के उच्च न्यायालय में जा चुका है। ऐसे में देखना यह होगा कि जी स्वास्थ्य सचिव ने पूर्व ड्रग कंट्रोलर को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देने का वादा किया था क्या यह आप भी उच्च न्यायालय के समक्ष लाया जाएगा या नहीं। गौरतलब है कि स्वास्थ्य सचिव के कारण ही प्रदेश ड्रग कंट्रोलर का पद नवनीत मारवा के रिटायर होने के बाद भी कई महीने तक अटका रहा।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि ड्रग डिपार्टमेंट के एक पूर्व ईमानदार अधिकारी को भी नवनीत मारवा के द्वारा अपने रसूक और प्रभाव के माध्यम से एक बड़े षड्यंत्र में फंसा कर उसे मुख्यालय से अटैच करवाया गया। बरहाल अब देखना यह होगा कि इस मामले की परतें किस हद तक जाकर खुलता है और इसकी जद में कौन-कौन अधिकारी आते हैं।
पंजाब पुलिस की विशेष रेड टीम ने हाल ही में की गई छापेमारी में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जिसमें पता चला है कि कई कंपनियों को सबस्टैंडर्ड होने के बावजूद संरक्षण दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यह कंपनियां नशीली दवाओं का कारोबार कर रही थीं, लेकिन उनकी कभी ठीक से जांच नहीं की गई। पुलिस की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि कुछ कंपनियों को गलत तरीके से संरक्षण दिया जा रहा था और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी। गौरतलब हो कि पूर्व ड्रग कंट्रोलर के कारनामों के बड़े खुलासे भी हुए हैं तो कुछ बड़े सवालिया निशान भी खड़े हुए हैं।
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