Sheep Farmer Awareness and Training Camp concludes in Nahan
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सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम के तहत भेड़ पालको को दी गई सोलर लाइटें व हेल्थ किट

HNN / नाहन

वूल फेडरेशन व पशुपालन विभाग के द्वारा प्रदेश में चलाए गए भेड़ पालक जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविर का नाहन में समापन हुआ। कैंप के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि जहां वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर शिरकत करी तो वही बतौर विशेष अतिथि डॉ राजीव बिंदल भी मुख्य रूप से मौजूद रहे। सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम के तहत आयोजित इस जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों के घुमंतू भेड़ पालकों ने अपनी उपस्थिति भी दर्ज करी। वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने बताया कि भेड़ पालकों के लिए प्रदेश में पहली बार जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कैंप की शुरुआत बीते महा नूरपुर से शुरू की गई थी जिसके बाद देहरा, ऊना, स्वारघाट मे आयोजन के बाद नाहन में इसका समापन हुआ। त्रिलोक कपूर ने बताया कि इन कैंपों का मुख्य उद्देश्य भेड़ पालकों की समस्याओं को साझा कर उनका समाधान निकालना, साथ ही भेड़ पालकों को उम्दा नस्ल की जानकारी के साथ उनके व्यवसाय को और अधिक रोजगार परक बनाना है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि देश में पहली बार मोदी सरकार के द्वारा पशु पालन के साथ भेड़ पालन मंत्रालय भी गठित किया गया है।

जिसका सबसे बड़ा फायदा लेने में प्रदेश की जयराम सरकार ने कामयाबी हासिल की है। उन्होंने बताया कि जयराम सरकार ने भेड़ पालकों व पशु पालकों के लिए जितनी भी योजनाएं बनाई थी वह सभी केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार की गई है। उन्होंने बताया कि नस्ल सुधार योजना के तहत प्रदेश सरकार को 8.30 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मिली है। इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि नस्ल सुधार योजना के तहत 200 भेडें तथा 40 मेंढे प्रदेश के शीप ब्रीडिंग संस्थानों में पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार के प्रयासों से ही भेड़ बकरियों के स्वास्थ्य के लिए 1 करोड़ रुपए का बजट भी मिल चुका है। इसके अलावा जितनी भी योजनाएं भेड़ पालकों के लिए बनाई गई थी उन सब पर मंत्रालय की मोहर लगी है। वही डॉ राजीव बिंदल ने बताया कि पिछले साल 70 वर्षों में पहली बार ऐसा प्रयास हुआ है कि सरकार भेड़ पालकों के द्वार पहुंची है।

उन्होंने बताया कि घने जंगलों में अपने पशु धन के साथ विचरण करने वाला भेड़ पालक खुद को अकेला महसूस करता था। मगर अब उसके हर कदम पर सरकार प्रत्यक्ष रूप से खड़ी है। भेड़ पालकों के लिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविर लगातार लगाए जा रहे हैं। इन कैंपों के माध्यम से भेड़ पालकों में उत्साह के साथ साथ ऊर्जा का संचार भी होता है। डॉक्टर बिंदल ने बताया कि व्यवसाय को बचाना भीड़ पालको के लिए ही अहम नहीं है बल्कि भेड़ पालन प्रदेश के लिए भी अहम है। उन्होंने कहा कि जब भेड़ पालकों का रेवड़ जंगलों से गुजरता है तो वनों को ऑर्गेनिक खाद के साथ साथ उनके खुरों से नए पौधों को अंकुरित होने की वजह मिलती है।

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व कांग्रेस सरकार के द्वारा भेड़ पालकों के लिए किसी भी तरह की योजना कारगर रूप से नहीं बनाई गई थी जबकि प्रदेश की भाजपा सरकार अब भेड़ पलकों के साथ प्रत्यक्ष रूप से खड़ी है। प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह पर दूरदराज क्षेत्रों से आए भेड़ पालकों को सोलर लाइटों के साथ-साथ भेड़ों बकरियों के लिए हेल्थ किट भी आवंटित की गई। इस मौके पर भेड़ पालकों के लिए विशेष रुप से कांगड़ी धाम का भी आयोजन किया गया।

वही भेड़ पालकों ने भी स्वीकार किया कि प्रदेश में वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर के द्वारा किए गए प्रयासों से भेड़ पालन व्यवसाय में उनका भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है। इस मौके पर वूल फेडरेशन के जनरल मैनेजर दीपक सैनी, उपनिदेशक पशुपालन विभाग नीरू शबनम, डीएफओ नाहन सौरभ, उपमंडल दण्डाधिकारी नाहन रजनेश कुमार, एडिशनल एसपी बबीता राणा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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