HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष हुई बारिश से मची तबाही के कारण लोगों के साथ-साथ सरकार का भी भारी नुकसान हुआ है। लगभग सभी एनएच पर हो भूस्खलन के कारण एनएचएआई का भी भारी नुकसान हुआ है। भूवैज्ञानिकों ने एनएचएआई पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने सड़कों को जरूरत से ज्यादा ही चौड़ा कर दिया है। एनएचएआई ने न ही अलाइनमेंट को बदला है और न ही सुरंग का निर्माण किया, जिससे कि यह सड़कें भूस्खलन की चपेट में आ रही हैं।
लगातार हो रही बारिशों के कारण कालका-शिमला एनएच-5 पर 40 कि.मी. लम्बा का हिस्सा भूस्खलन होने के कारण पूरी तरह से खत्म हो चूका है। जिस कारण इस आपदा के लिए भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों एनएचएआई को कसूरवार बताया है। उन्होंने कहा कि यदि मार्ग को चौड़ा करना था तो मार्ग का अलाइनमेंट बदलते या फिर वहां सुरंगों का निर्माण करते।
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भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पहाड़ की कटिंग का ढलान 90 डिग्री की बजाय 60 डिग्री से कम होना चाहिए। ढलान ज्यादा होने के कारण एनएच पर लगातार पत्थरों की बौछार हो रही है। जिससे एनएच पर की एक लेन पर वाहनों की आवाजाही अवरुद्ध हो रही है।
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