HNN / ऊना, वीरेंद्र बन्याल
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहां बढ़ती महंगाई, आर्थिक तंगी और विकास की आधी दौड़ में जीवन मूल्यों का पतन हो रहा है। वहीं भारतीय संस्कृति में विद्यमान सच्चाई, ईमानदारी, परोपकार की मिसालें अक्सर देखने को मिल जाती हैं। यही कुछ रक्कड़ कॉलोनी के रहने वाले भरत भूषण के साथ हुआ। ऊना के जोनल अस्पताल में कार्यरत भरत भूषण रविवार को अपनी बाइक पर नंगल पंजाब की तरफ जा रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार मोटर साइकिल उनके पास से गुजरी।
जिसके पीछे बैठी महिला का पर्स अचानक सड़क पर गिर गया और उसे पता भी नहीं चला। भूषण ने सड़क पर गिरे पर्स को उठाया और बाइक का कुछ किलोमीटर तक पीछा किया, हॉर्न पर हॉर्न भी बजाए, लेकिन मोटर बाइक की स्पीड तेज़ होने के कारण उन तक पहुंच नहीं पाए। भूषण ने जब पर्स खोला, तो पर्स में नकदी के साथ-साथ कुछ गहने व एक मोबाइल फोन भी था।
पहले तो उन्होंने पर्स को पुलिस में देने का इरादा बनाया, लेकिन फिर पर्स में मिले मोबाइल पर डायल नम्बरों पर फोन किया। जिस पर पता चला कि यह पर्स नया नंगल में रहने वाली सम्बल नाम की महिला का है, जो किसी रिश्तेदारी में एक समारोह में भाग लेने जा रही थीं। जब सम्बल को पर्स गिरने के बारे में सूचना मिली तो उसने भरत भूषण से मोबाइल पर सम्पर्क किया तथा उनसे आग्रह किया कि वह पर्स को पुलिस में न दें और वह अभी पर्स लेने वापिस आ रही हैं। फिर उन्होंने भरत भूषण के घर आकर अपना पर्स लिया तथा उनका विशेष आभार प्रकट किया।