श्री रेणुका जी मेला की प्रशासनिक व कानून व्यवस्था पर लगा सवालिया निशान
HNN News श्री रेणुका जी
दो हजार अठारह में श्री रेणुकाजी मेले के दौरान ओवर लोडिंग चलते जलाल नदी पुल पर हुए भीषण हादसे के बावज़ूद सबक न लेते हुए इस बार भी ओवरलोडिंग जम कर हुई ।
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अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुकाजी मेले में यातायात नियमों की खूब धज्जियां उड़ी । मेले में अधिक कमाई के चक्कर में निजी बसों में ओवरलोडिंग कर यात्रियों को ढोया गया।

ओवरलोडिंग इतनी कि बस के भीतर पांव रखने की जगह नहीं मिल रही तो सवारियों को छतों पर चढ़ाया जा रहा था। इसकी परवाह न तो वाहन मालिक कर रहे और न ही कानून के रखवाले।

यात्री भी अपनी जान जोखिम पर रखकर सफर करते हुए नजर आए।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या जान क्या इतनी सस्ती है।ये तस्वीरें श्री रेणुकाजी की हैं, जिन्हें शुक्रवार शाम ददाहू-खालाक्यार सड़क पर क्लिक किया गया। साफ देखा जा सकता है कि निजी बसों की छत्तों पर भी सवारियों को बिठाया गया है।
यही नहीं मालवाहक वाहनों में भी यात्रियों को ढोया गया। गनीमत ये रही कि इस दौरान कोई हादसा नहीं हुआ। बड़ी बात ये है कि आए दिन कहीं न कहीं हादसे हो रहे हैं।
मेले के दौरान इससे पहले भी बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ले रहा है।यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने के लिए जितना कसूरवार वाहन चालक हैं, सवारियां भी उतना ही जिम्मेदार हैं।
वहीं दोपहिया वाहनों पर ट्रिपलिंग जमकर हुई, पर किसी ने इन पर कोई शिकंजा नहीं कसा गया। हालांकि, आधिकारिक तौर पर श्री रेणुकाजी मेला खत्म हो चुका है, लेकिन निजी वाहनों में सवारियां ढोने का सिलसिला ऐसे ही जारी है। दरअसल, ये मेला अभी चार से पांच दिन और चलेगा। अब मेले में खरीदारी के लिए लोगों की जमकर भीड़ उमड़ रही है।
सवाल तो यह उठता है कि जब प्रशासन के पास जलाल और गिरी नदी में खुली जगह है बावजूद इसके परिस्थितियों और समय को देखते हुए मेले का आयोजन कुब्जा पवेलियन में क्यों करवाया जाता है।
मेले की समाप्ति के बाद शाम को चार बजे से लेकर साढ़े छः बजे तक का जमकर जाम भी लगा। पुलिस के लिए व्यवस्था बनाना बड़ा ही मुश्किल हो गया था। बावजूद इसके प्रशासन मेले के आयोजन को लेकर व्यवस्था में कोई नया सुधार नहीं कर पाया।
हालांकि प्रबुध लोग व पालकियों के साथ आने वाले पुजारियों के द्वारा भी मेले की विपणन व्यवस्था को जलाल नदी में आयोजित करवाने की मांग की गई थी। लोगों का कहना है कि कुब्जा पवेलियन में केवल पालकियों और देवी देवताओं को ही जगह दी जानी चाहिए बाकी तमाम व्यवस्था चाहे वो कल्चर नाइट हो या फिर एक्जीविशन सब नदी के डेल्टा में ही होनी चाहिए।
बहरहाल देखना ये होगा कि प्रशासन सहित सरकार
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