लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

नियमावली के साथCM धामी आज करेंगे UCC पोर्टल का शुभारंभ

Shailesh Saini | 27 जनवरी 2025 at 9:31 am

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा उत्तराखंड

(विकास उनियाल) हिमाचल नाऊ न्यूज़

स्वतंत्र राष्ट्र में जहां पूरे भारतवर्ष में आजादी के बाद ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाना चाहिए था बावजूद इसके 76 वर्षों के बाद देश के केवल एक ही राज्य ने समान नागरिक संहिता लागू कर बाद ऐतिहासिक कदम उठाया है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यानि सोमवार कोUCC पोर्टल का शुभारंभ करने जा रहे हैं।
करीब ढाई वर्षो की अथक मेहनत के बाद मुख्यमंत्री धामी पोर्टल के साथ-साथ इसकी नियमावली का भी जानार्पण करेंगे।

बताना जरूरी है कि समान नागरिक संहिता हेतु 27 मई 2022 को एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इस समिति के द्वारा फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। तो इसके साथ ही ठीक 1 महीने बाद यानी 8 मार्च को विधानसभा में यह विधेयक पारित कर दिया गया था।

12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर राष्ट्रपति की मोहर लग गई थी। 20 जनवरी 2025 को यूनिफॉर्म सिविल कोड को अंतिम रूप देकर इसे कैबिनेट ने पास कर दिया था।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) एक ऐसा कानून है जो सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए एक समान नियम बनाता है। यह कानून विवाह, तलाक, संपत्ति का अधिकार, विरासत और बच्चा गोद लेने जैसे मामलों में लागू होता है।

इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून हो, जो उनके धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव न करे।

क्या है इतिहास

व्यक्तिगत कानून का इतिहास भारत में ब्रिटिश राज के दौरान शुरू हुआ, जब हिंदू और मुस्लिम नागरिकों के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए थे। अंग्रेजों ने समुदाय के नेताओं के विरोध के डर से इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से बचते थे।

भारत की आजादी के बाद, हिंदू कोड बिल पेश किया गया, जिसने हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदायों के लिए व्यक्तिगत कानूनों को संहिताबद्ध किया और सुधार किया। लेकिन इसने ईसाइयों, यहूदियों, मुसलमानों और पारसियों को छूट दी, जिन्हें अलग समुदायों के रूप में पहचाना गया।

गोवा राज्य, जो उस समय पुर्तगाल के शासन में था, में एक समान पारिवारिक कानून लागू था, जिसे गोवा नागरिक संहिता के रूप में जाना जाता है। यह आज तक समान नागरिक संहिता वाला भारत का एकमात्र राज्य है।

व्यक्तिगत कानूनों का इतिहास जटिल और विवादास्पद है, और यह अभी भी भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

हालांकि उलेमा इसका विरोध कर रहे हैं बावजूद इसके देश में बाकी सभी समुदाय के द्वारा इसका स्वागत किया जा रहा है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें