लंबित किराये के ब्याज को किया माफ , चार किश्तों में कर सकेंगे किराये का भुगतान
HNN / नाहन
देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर परिषद नाहन ने लंबित किराये के भुगतान को लेकर डिफाल्टरों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। नगर परिषद का करीब 65 लाख रुपये किराया डिफाल्टरों के पास लंबित पड़ा है। नगर परिषद ने सभी डिफाल्टर को 31 मार्च 2022 तक किराये के जमा करवाने का अंतिम आदेश जारी किया है। उसके बाद डिफाल्टरो के खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नगर परिषद ने डिफॉल्टरो को राहत देते हुए लंबित किराये के ब्याज को न लेने का निर्णय लिया है। वहीं लंबित किराये का भुगतान भी चार किश्तों में अदा करने की छूट दी है।
हांलाकि नगर परिषद की ओर से किराये की किश्त को दो महीने में एक बार जमा करवाना अनिवार्य किया गया है। नगर परिषद ने कोरोना काल के मद्देनजर किराये के ब्याज को 31 मार्च तक न लेने का निर्णय लिया है, यह एक बड़ी राहत है। क्योंकि कुछ डिफाल्टरों के किराये की राशि दस लाख रुपये तक भी है। ऐसे में ब्याज की राशि भी काफी बनेगी। इसमें दुकानें, गैराज व स्टोर के संचालक करीब 95 ऐसे डिफाल्टर हैं, जिन्होंने नगर परिषद को किराये का भुगतान नहीं किया है।
इनमें से कुछ किरायेदार तो ऐसे हैं, जिनका अकेले ही करीब आठ से दस लाख रुपए किराया बनता है। नगर परिषद की ओर से पहले इस किराये के भुगतान को एक मुश्त में करने का नोटिस डिफाल्टरों को जारी किया था। लेकिन, एक महीने में केवल 12 लाख रुपये का ही भुगतान हो पाया। यह भुगतान भी उन किरायेदारों ने किया, जिनका लंबित किराया काफी कम राशि का था। गौरतलब है कि नगर परिषद पहले ही कंगाली की मार झेल रहा है। ऊपर से डिफाल्टरों की ओर से किराये का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
मौजूदा समय में नाहन शहर में प्राइम लोकेशन पर स्थित दुकानों, गैराज और हॉल आदि का किराया 25 से 30 हजार रुपये प्रति महीना है। जबकि, कई लोगोंं ने वर्षों पहले किराये पर नप से दुकाने ली हैं, जिनका किराया पांच से दस हजार रुपये है। इसके बावजूद भी किरायेदार पिछले कई सालों से किराये का भुगतान नहीं कर रहे हैं। नगर परिषद उपाध्यक्ष अविनाश गुप्ता ने बताया कि डिफाल्टरों से लंबित किराया चार किश्तों में लेने का निर्णय लिया गया है। वहीं कोरोना काल के चलते 31 मार्च, 2022 तक लंबित किराये पर लगने वाले ब्याज को भी नगर परिषद ने माफ किया है।