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Exclusive Report By: Shailesh Saini

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दृष्टिबाधा को मात देकर एवरेस्ट फतह करने वाली भारत की पहली महिला बनीं किन्नौर की छोंजिन आंगमो

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किन्नौर

कठिनाइयों को किया पार, आत्मविश्वास और साहस की मिसाल बनीं छोंजिन, 8:34 बजे फहराया तिरंगा

किन्नौर जिले के दुर्गम गांव चांगो की 28 वर्षीय छोंजिन आंगमो ने 19 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर नया इतिहास रच दिया। वे भारत की पहली और विश्व की पांचवीं दृष्टिबाधित पर्वतारोही बनीं जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह किया। यह उपलब्धि केवल शारीरिक सामर्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, साहस और आत्मबल की प्रेरणादायक गाथा बन गई है।

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बचपन में खोई दृष्टि, कभी नहीं मानी हार
छोंजिन आंगमो की आंखों की रोशनी तीसरी कक्षा में दवा से एलर्जी के कारण चली गई थी। परिवार ने इलाज के लिए शिमला, चंडीगढ़ और देहरादून के कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद 2005-06 में उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित छात्रावास में दाखिला दिलाया गया, जहां से उन्होंने जीवन की दिशा बदलने का संकल्प लिया।

कई चोटियों पर चढ़ने के बाद एवरेस्ट को बनाया लक्ष्य
2016 में मनाली स्थित अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से बेसिक कोर्स करके उन्होंने फ्रेंडशिप पीक फतह की। इसके बाद लद्दाख की कई चोटियों और सियाचिन में भी अभियान किए। 2021 में वे ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम का हिस्सा बनीं। उनकी प्रेरणा पर्वतारोही स्केलजैंग रिग्ज़िन रहे, जिन्होंने उन्हें कांग यात्से-2 पर चढ़ते देखा और प्रोत्साहित किया।

यूनियन बैंक ने निभाई सहयोगी की भूमिका
छोंजिन वर्तमान में दिल्ली स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्हें किसी से मदद नहीं मिली, तो यूनियन बैंक ने उनका साथ दिया और इस सपने को साकार किया। उनकी टीम में शेरपा दांडू, ओम गुरुंग और टीम लीडर लेफ्टिनेंट कर्नल रोमिल बर्थवाल शामिल थे। टीम ने उनके लिए विशेष साइनेज और ट्रेक पोल तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे वे सुरक्षित रूप से चढ़ाई कर सकीं।

राष्ट्रीय सम्मान और अगला लक्ष्य
छोंजिन आंगमो को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर मन में इच्छा हो, तो कोई भी बाधा मार्ग नहीं रोक सकती। उनका अगला लक्ष्य सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों को फतह करना है।

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