HNN / ऊना, वीरेंद्र बन्याल
हिमाचल प्रदेश में हुनर अब रोजगार का साधन बन रहा है। आर्थिक सशक्तिकरण की इस क्रांति का सूत्रपात मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना से हो रहा है। इस योजना के अंतर्गत युवाओं के हुनर को निखारने के लिए ग्रामीण विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को अपने खर्च के लिए भत्ता भी प्रदान किया जाता है। हरोली उपमंडल के तहत आने वाले पालकवाह के बाबा बालक नाथ स्वयं सहायता समूह की पांच महिलाएं मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना का लाभ लेकर मिट्टी के बर्तन व दीए बनाने का प्रशिक्षण बना रही हैं।
लगभग दो माह पूर्व ग्रुप की महिलाओं ने ट्रेनिंग आरंभ की। ग्रुप से जुड़ी सोनिया कुमारी बताती हैं कि उनका कोर्स तीन माह का है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की इस कल्याणकारी योजना से बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए काफी मदद मिल रही है, जिससे वह अपने घर का खर्च चलाने में भी सक्षम बनेंगी। वहीं मीनाक्षी कुमारी बताती हैं “हमारे ग्रुप ने मिट्टी कप, गिला, कटोरी व दीये बनाने सीखे हैंअ। मिट्टी के बर्तन व दिए बनाने के बाद उन्हें भट्ठी में पकाया जाता है।
प्रशिक्षण के दौरान हमें 3000 रुपए भत्ता भी दिया जा रहा है। इस योजना के लिए मैं मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का धन्यवाद करती हूं।”मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना का प्रारूपप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना का आरंभ 6 जनवरी 2020 को किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को लाभकारी रोजगार प्रदान करने के अलावा पारंपरिक हस्तकला, हथकरघा, स्थानीय कलाकृतियों, लकड़ी व धातु शिल्प को पुनर्जीवित करना है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को धातु, पत्थर और लकड़ी के शिल्प की पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वह अपने क्षेत्र में उत्तम बन सकें और रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें।
इस योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित खंड विकास अधिकारी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। जिलाधीश ऊना राघव शर्मा ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को बिक्री मंच प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। मेलों का आयोजन किया जा रहा है। जिला के स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को सोमभद्रा ब्रांड नेम दिया गया है, जो जिला ऊना के समूहों के उत्पादों की पहचान बन रहा है तथा इससे उन्हें बेहतर दाम भी मिल रहे हैं।
स्वरोजगार में सहायक सिद्ध हो रही इस योजना के संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कोरोना संकट के कारण लोगों की जीवन पद्धति में बदलाव आया है। कुछ लोग प्रदेश छोड़कर वापस अपने घरों को लौट गए हैं तथा कुछ लोग अन्य प्रदेशों से वापस हिमाचल प्रदेश आए हैं। प्रदेश में वापस लौट कर आए लोगों को स्वरोजगार प्रदान करने में मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रशिक्षण अवधि के दौरान प्रशिक्षु को 3000 रुपए तथा प्रशिक्षक को 7500 रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।