General Zorawar Singh's historic contribution in securing the border of northern India - Acharya Dev Dutt

जनरल जोरावर सिंह का उत्तरी भारत की सीमा को सुरक्षित बनाने में रहा ऐतिहासिक योगदान- आचार्य देव दत्त

HNN/ मंडी

सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के अमृत महोत्सव सभागार में इतिहास विभाग, हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला तथा ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी के संयुक्त तत्वावधान में जनरल जोरावर सिंह की 181 पुण्यतिथि पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के कुलपति आचार्य देव दत्त शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक, ठाकुर रामसिंह इतिहास संस्थान नेरी डॉ. चेतराम गर्ग ने की।

कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि आचार्य देव दत्त शर्मा ने कहा कि उत्तरी भारत की सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए जनरल जोरावर सिंह के ऐतिहासिक योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके प्रयासों से ही लद्दाख व बाल्टिस्तान तात्कालिक जम्मू रियासत के अंग बने जो आज भारत का अभिन्न अंग है। सामरिक दृष्टि से उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्य के परिणाम स्वरूप ही आज सुदूर हिमालय पर भारतीय सेना दुश्मनों से लोहा ले रहे हैं।

उन्होंने बताया कि आज की भावी पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। संगोष्ठी संयोजक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने संगोष्ठी का उद्देश्य रखते हुए बताया कि भारतीय इतिहास में जनरल जोरावर सिंह को एक दूरदर्शी सेनानायक, महान योद्धा व कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य उनके जीवन को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है, जिसमें जनरल जोरावर सिंह के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।


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