चैत्र नवरात्र कल से, प्रदेश के पॉंचों शक्तिपीठों में बिना बंदिशों के कर पाएंगे दर्शन

HNN/ शिमला

कल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रों के लिए प्रदेश के सभी शक्तिपीठों में तैयारियां मुकम्मल कर ली गई है। मंदिरों को जहां रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है वही कल से शक्तिपीठों में उमड़ने वाली भीड़ के चलते चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी भी तैनात किए गए हैं। बड़ी बात तो यह है कि 2 अप्रैल यानी कि कल से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रों पर वीकेंड आ रहा है। ऐसे में बाहरी राज्यों से भारी तादाद में सैलानियों के शक्तिपीठों में उमड़ने की संभावना जताई जा रही है।

प्रदेश के पांचों शक्तिपीठों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जाएगी। बता दें कि शक्तिपीठों में चैत्र नवरात्रों के दौरान भारी तादाद में भीड़ उमड़ती है। भारी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से हजारों की तादाद में श्रद्धालु शक्तिपीठों में दर्शन करने पहुंचते हैं। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों में पहुंच जाते हैं और लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। वही, नवरात्रों में उमड़ती भीड़ के चलते जेब कतरे भी सक्रिय हो जाते हैं।

इन सभी गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के जवान सादे कपड़ों में भी अपनी सेवाएं देंगे। बता दें कि कल से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के पांचों शक्तिपीठों मां चामुंडा देवी, श्री बज्रेश्वरी देवी, श्री ज्वालाजी देवी, मां चिंतपूर्णी देवी, मां नयना देवी के मंदिर में हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं। इन शक्तिपीठों से श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है।

मां चिंतपूर्णी मंदिर : चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में स्थित है। यह स्थान 51 शक्ति पीठों में से एक है। चिंतपूर्णी माता अर्थात चिंता को पूर्ण करने वाली देवी चिंतपूर्णी देवी का यह मंदिर काफी प्राचीन है। भक्तों में माता के चरणों का स्पर्श करने को लेकर अगाध श्रद्धा है। मेले में व्यवस्था बनाने के लिए 400 सुरक्षा कर्मी तैनात रहेंगे। मंदिर में दर्शनों के लिए एमआरसी की पार्किंग, बाबा श्री माईदास सदन और शंभू बैरीयर पर दर्शन पर्ची देने के लिए काउंटर स्थापित किए गए है।

मां बज्रेश्वरी देवी मंदिर: कांगड़ा का बज्रेश्वरी देवी शक्तिपीठ जिसे नगरकोट धाम भी कहा जाता है, एक ऐसा स्थान हैं, जहां पहुंच कर भक्तों का हर दुख तकलीफ मां की एक झलकभर देखने से दूर हो जाती है। 51 शक्तिपीठों में से यह मां का वह शक्तिपीठ है जहां मां सती का दाहिना वक्ष गिरा था।

ज्वालामुखी मंदिर : ज्वालामुखी मंदिर को ज्वालाजी के रूप में भी जाना जाता है। यह जिला कांगड़ा में कांगड़ा शहर के दक्षिण में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू देवी ज्वालामुखी को समर्पित है। इनके मुख से अग्नि का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अग्नि की अलग-अलग छह लपटें हैं जो अलग अलग देवियों को समर्पित हैं। सुबह 5 बजे गर्भ गृह के कपाट खोले जाएंगे। 75 सुरक्षा कर्मी मंदिर में सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे।

चामुंडा नंदीकेश्वर धाम : चामुंडा देवी मंदिर भी हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में स्थित है। जिला मुख्यालय धर्मशाला से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बनेर नदी के किनारे स्थित यह मंदिर 700 साल पुराना है। इस विशाल मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है जो 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। नवरात्रों के दौरान मंदिर सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोला जाएगा। मंदिर में सुबह 8 बजे और शाम 7 बजे आरती की जाएगी।

मां नयना देवी : नयना देवी माता का मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित है। नयना देवी का मंदिर भी प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। चैत्र नवरात्र मेलों के दौरान श्रद्धालुओं के लिए नयना देवी माता का मंदिर साढ़े 21 घंटे खुला रहेगा। रात 12 बजे से 2 बजे और दोपहर 12 बजे से साढ़े 12 बजे तक मंदिर दर्शनों के लिए बंद रहेगा। रात 12 से 2 बजे के बीच तीन पहर की आरती की जाएगी। 12 से साढ़े 12 के बीच मध्याह्न आरती की जाएगी।


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