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गोविंद के पांच प्यारे नहीं माने तो संजय अवस्थी होंगे स्ट्रांग, नामांकन भरने से पहले ही गोविंद हुए बैक, समर्थक नाराज

HNN/ नाहन

अर्की विधानसभा उपचुनाव के लिए गोविंद राम शर्मा ने भले ही नामांकन भरने की पूरी तैयारी कर ली हो । मगर बीजेपी इतनी जल्दी हार मानती नजर नहीं आ रही है। लिहाजा भाजपा ने तुरुप का इक्का खेलते हुए अनुराग ठाकुर को अर्की बुला लिया है। अर्की पहुंचने से पहले जहां अनुराग ठाकुर का परवाणू में जोरदार स्वागत हुआ तो वही रतन पाल की लड़खड़ाती सांसों को संजीवनी मिल गई है। क्योंकि गोविंद राम शर्मा जयराम के मनाने से मानने वाले नहीं थे लिहाजा चाणक्य ने स्थिति को भाफ्ते हुए अनुराग की एंट्री अर्की में करवा दी।

बता दें कि गोविंद राम शर्मा पूरी तरह से धूमल भगत हैं और उनके प्रति वह पूरी निष्ठा व आस्था रखते हैं। यही नहीं उनका लगभग पूरा का पूरा ग्रुप धूमल में आस्था रखता हैं। लिहाजा मान मनोबल के बाद गोविंद शर्मा भारी समर्थकों के साथ नामांकन भरने तो पहुंचे मगर अंदर जाने से पहले ही पांव पीछे खींच लिए।

इस घटनाक्रम के बाद गोविंद शर्मा के बड़े समर्थक उनसे नाराज हो चुके हैं।अब ऐसे में हार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले जीत राम, बालक राम, सुरेंद्र ठाकुर, विजय ठाकुर और इसके अलावा पंचायती राज चुनाव के दौरान रतनपाल से नाराज तबका किसी भी सूरत में उम्मीदवार के साथ जाता नजर नहीं आ रहा है।

हालांकि गत दिन हुई कोई गुप्त बैठक में इस चीज का अंदेशा लगा लिया गया था कि संभवत अनुराग ठाकुर गोविंद को मना सकते हैं। मगर यहां यह भी कहा गया था कि भले ही गोविंद राम रतनपाल के फेवर में बैठ जाएंगे। मगर बाकी लगभग पूरा ग्रुप संजय अवस्थी की ओर झुक सकता है। ऐसे में भाजपा का अगला पैंतरा क्या होगा यह तो कहा नहीं जा सकता। मगर यह तो तय है कि रतनपाल की राहें गुटबाजी के चलते आसान नहीं है। बता दें कि इस समय प्रदेश में अनुराग का चेहरा भाजपा की ओर से मजबूत और दमदार माना जाता है।

ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले 2022 के चुनाव में मौजूदा परिस्थितियों से खफा हुआ बड़ा तबका बड़े ठाकुर के बैनर तले भाजपा के साथ ही जाएगा। उधर, सूत्रों की माने तो जुब्बल कोटखाई में महिला प्रत्याशी को लेकर पंचायती राज चुनाव में उनकी हार को कांग्रेस और कथित भाजपा नाराज ग्रुप कैश करने में लग पड़ा है। ऐसे में 2022 का प्री मानसून कितना कारगर साबित होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

बड़ा एक बात तो तय है कि मैदान में उतरने से पहले ही बैकफुट हो चुके गोविंद शर्मा अपने बड़े भारी समर्थकों के साथ उनसे अलग थलग पड़ चुके हैं। इनमें कई ऐसे चेहरे हैं जो रतनपाल को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। और यह भी तय था कि इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान होते हुए गोविंद शर्मा भले ही कुछ वोटों से ही सही मगर जीत जाते। अब माना जा सकता है कि आने वाले समय में उनकी पॉलिटिकल डेथ सुनिश्चित हो चुकी है। भाजपा का एक ट्रैक रिकॉर्ड यह भी रहा है की एन वक्त पर नाराजगी जताने वाले आने वाले समय में हाशिए पर रहे हैं।

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