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Exclusive Report By: Shailesh Saini

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केरल की तर्ज पर हिमाचल में भी फल व सब्जियों पर तय किए जाएं समर्थन मूल्य

SAPNA THAKUR | 21 मार्च 2022 at 2:57 pm

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HNN/ शिमला

केरल राज्य की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में किसानों को फल व सब्जियों पर समर्थन मूल्य दिया जाए ताकि किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। यह बात हिमाचल प्रदेश किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ कुलदीप तंवर ने टमाटम उत्पादक संघ के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही। डाॅ तंवर ने कहा कि विशेषकर हिमाचल प्रदेश में किसानों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। एक ओर कृषि उत्पादों की लागत मूल्य आसमान को छू रही है वहीं पर दूसरी ओर किसानों को अपने उत्पादों का कई बार उचित मूल्य नहीं मिल पाता।

उन्होने बीते वर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि किसानों का टमाटर 4 से 40 रूपये तक बिका जिससे किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल सकी। बताया बीज व कीटनाशक दवाईयों तथा खाद पर अनुदान को सरकार ने बंद किया है जिससे किसानों की लागत मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। डाॅ. तंवर ने सरकार से मांग की है कि प्रो। एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए जिसमें आयोग की 2006 में जारी रिपोर्ट के अनुसार किसानों को समर्थन मूल्य देने की बात कही गई थी।

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इस आयोग की सिफारिशों को आधार पर वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव जीता गया था। उन्होने कहा कि किसानों की समस्याओं को देखते हुए प्रदेश में फसल पर आधारित संगठन गठित किए जा रहे है जिसमें 22 ब्लाॅक में सेब उत्पादक संघ, पांच जिलों में दुग्ध उत्पादक संघ और कसुपंटी निर्वाचन सहित सोलन व सिरमौर जिला में टमाटर व अन्य सब्जी उत्पादक संघ गठित किए कर दिए गए हैं ताकि किसानों की समस्याओं को पुरजोर ढंग से सरकार के समक्ष रखा जा सके।

डाॅ. तंवर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में करीब 20 लाख मिट्रिक टन सब्जी का उत्पादन होता है जिसमें से अकेले पांच लाख मिट्रिक टन टमाटर का उत्पादन होता है। सरकार टमाटर पर आधारित उद्योग स्थापित करें ताकि किसानों को टमाटर का उचित मूल्य मिल सके। इसके अतिरिक्त सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोर भी बनाए जाने चाहिए।

इनका कहना है कि लागत मूल्य निर्धारित करने के लिए सरकार को विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए ताकि लागत मूल्य के आधार पर किसानो को समर्थन मूल्य निर्धारित हो सके। उन्होने कहा कि सब्जियों के दामों में हमेशा उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है जिससे कई बार किसानों को बहुत नुक्सान हो जाता है।

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