अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर बंद पड़ी फैक्टरी में खेला जा रहा बड़ा खेल
HNN/नाहन
नाहनः फार्मा हब कहलाने वाले औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में एक बड़ी फार्मा कंपनी के काले कारनामे का गोरखधंधा कैमरे में कैद हुआ है। समय फार्मा के नाम से चल रहे एक दवा उद्योग द्वारा एक्सपायरी दवा के लेवल उतारकर फिर से बोटलिंग किए जाने का मामला संज्ञान में आया है। यही नहीं दवा की भराई के लिए तैयार की जाने वाली बोतलों को भी सर्फ के पानी में धोकर अनहाईजीन तरीके से दवा के लिए तैयार किया जा रहा था। जाहिर है कि इन बोतलों में दवा नहीं बल्कि जहर परोसने की तैयारी चल रही थी। अब यदि जिस तरीके से इनकी बोटलिंग की जा रही है और दवा बाजार में पहुंचती है तो इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जम्मू जैसा कोई हादसा कहीं भी फिर से हो सकता है।
प्रदेश का फार्मा जगत वैसे भी पूरे देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. बार-बार यहां बन रही दवाएं ड्रग अलर्ट पर खरा नहीं नहीं उतर रही हैं। हर माह सैकड़ों सैंपल फेल हो रहे हैं। ऐसे में जिस तरीके से समय फार्मा द्वारा अनहाईजीन तरीके से पुरानी बोतलों को फिर से दवा के लिए तैयार किया जा रहा है, उससे दवा की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान लगने तय है। यही नहीं यदि ये गोरखधंधा कथित तौर पर एक्सपायरी दवाओं का है तो निश्चित ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी बड़ा खेल खेला जा रहा है।
दरअसल, मीडिया टीम जब गुप्त सूत्रों से मिली पुख्ता सूचना के बाद मौके पर पहुंची तो समय फार्मा के साथ लगते बंद पड़े उद्योग में एक्सपायरी हो चुकीं दवाइयों की बोतलों के रेपर उतारकर उन्हें धोया जा रहा था। हैरानी इस बात की है कि दवा की बोतल को जहां हाईजीन तरीके से साफ किया जाना चाहिए था, उसकी जगह बाल्टी और टब में सर्फ घोलकर दो मजदूर इस कार्य में लगाए गए थे।
इन मजदूरों से इस बारे पूछा गया तो पता चला कि वे समय फार्मा के लिए काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इस बंद फैक्टरी में बोतल के लेवल उतारकर धोने के लिए उन्हें प्रबंधन की ओर से यहां भेजा गया है। मीडिया ने जब उनसे पूछा कि दवा कहां रखी गई है तो बताया कि ये उन्हें मालूम नहीं है। मगर बोतलों की दवा किसी एक जगह इकट्ठी कर रखी गई है। जाहिर है कि फार्मा द्वारा एक बड़े काले धंधे को अंजाम दिया जा रहा था।
इस बारे जब प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने फैक्टरी के एमडी गौरव जैन का नंबर दिया। उन्हें मीडिया टीम ने बार बार संपर्क करना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। यही नहीं उन्हें खबर के कंटेट के साथ दवा की बोतलों के फोटो भी भेजे गए। इसके बावजूद एमडी ने किसी भी तरह की कोई टिप्पणी फोन के माध्यम से नहीं की. लिहाजा, संबंधित क्षेत्र के ड्रग इंस्पेक्टर नरेंद्र ठाकुर से इस मामले की जानकारी जुटाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि वे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते। दवा निरीक्षक ने कहा कि वे इस बारे सहायक दवा नियंत्रक से ही जानकारी ले सकते हैं।
उधर, सहायक दवा नियंत्रक गरिमा ने बताया कि वे मामले की जांच करने के बाद ही इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से फार्मा उद्योगों का रूटीन निरीक्षण किया जाता है। यदि फिर भी लेवलिंग का कार्य किया जा रहा है तो विषय गंभीर है. इसकी जांच की जाएगी।