नाहन
1500 हेक्टेयर भूमि पर दो सीजन में होता है उत्पादन, पहाड़ी आलू बना किसानों के लिए कमाई का कुबेर
ऊपरी व निचले सिरमौर में दो अलग-अलग फसल सीजन
प्रदेश में आलू उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर रहने वाले जिला सिरमौर ने इस बार 22500 मीट्रिक टन आलू का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। सिरमौर में आलू दो अलग-अलग सीजन में उगाया जाता है — ऊपरी सिरमौर (जैसे शिलाई, हरिपुरधार क्षेत्र) में जनवरी-फरवरी में बोई गई फसल जून तक तैयार होती है, जबकि निचले सिरमौर (नाहन व पांवटा साहिब ब्लॉक) में सितंबर में बोई गई फसल फरवरी-मार्च तक पककर तैयार होती है।
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देश की मंडियों में सिरमौर आलू की जबरदस्त डिमांड
सिरमौर के किसानों द्वारा उगाई गई ‘कुफरी ज्योति’ किस्म का आलू अपने आफ सीजन में तैयार होने के कारण देश की बड़ी मंडियों में खूब पसंद किया जाता है। जब अन्य राज्यों में आलू की फसल समाप्त हो जाती है, तब सिरमौर का ताजा आलू बाजार में पहुंचता है, जिससे इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।
कुल 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में होता है उत्पादन
जिला में कुल 1500 हेक्टेयर भूमि में आलू उगाया जाता है, जिसमें से लगभग 1150 हेक्टेयर ऊपरी सिरमौर और 350 हेक्टेयर निचले क्षेत्रों में शामिल हैं। हरिपुरधार क्षेत्र में डांकरी किस्म का विशेष आलू भी उगाया जाता है, जिसकी मांग सबसे ज्यादा और कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक रहती है।
किसानों को मिल रही है सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन
प्रदेश सरकार द्वारा ‘कुफरी ज्योति’ और ‘एलपीएस’ किस्म का आलू बीज 25 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाता है। कृषि विभाग ने इस बार 1600 क्विंटल बीज किसानों को रियायती दर पर दिया। सिरमौर में आलू की खेती किसानों के लिए आजीविका का मजबूत जरिया बनती जा रही है।
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