HNN/ शिमला
बीते 19 वर्षों से आयुर्वेद विभाग में कार्यरत दैनिक भोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रेगुलर होने की बाट जोह रहे हैं परंतु सरकार व आयुर्वेद विभाग इन कर्मचारियों को नियमित करने बारे गंभीर नहीं है। आयुर्वेदिक दैनिक भोगी कर्मचारी संघ के प्रधान दीपक कुमार द्वारा जारी बयान में बताया कि सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सभी वर्गों को राहत प्रदान की गई है परंतु आयुर्वेद विभाग में करीब 62 दैनिक भोगी कर्मचारियों को सरकार की घोषणाओं में कोई राहत नहीं मिली है।
दीपक कुमार का कहना है कि वर्ष 2003 के दौरान प्रदेश के विभिन्न आयुर्वेदिक औषधालय में अंशकालिक कर्मचारी रखे गए थे जिन्हेें 2013 में दैनिक भोगी बनाया गया था। इनका कहना है कि संघ के प्रतिनिधि मंडल द्वारा बीते दिनों निदेशक आयुर्वेद से भी भेंट की गई थी। निदेश्क का कहना है कि विभाग में सेवादार के पद रिक्त नहीं है जैसे पद रिक्त होते रहेगें, उन्हें चरणबद्ध तरीके नियुक्ति दी जाएगी।
प्रधान का तर्क है कि यदि विभाग के पास चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त नहीं है, सरकार के निर्देशानुसार ऐसी स्थिति में उन्हें अन्य विभागों में समायोजित किए जाएं। बताया कि अधिकांश दैनिक भोगी कर्मचारी उम्रदराज हो चुके हैं और परिवार की जिम्मेवारियां बढ़ रही है। इनका कहना है कि सभी दैनिक भोगी कर्मचारी सरकार द्वारा तय मापदंडों को पूरा करते हैं। आयुर्वेंद दैनिक भोगी कर्मचारी संघ ने सरकार से मांग की है कि उनकी नियमितिकरण की मांग पर सहानुभूति विचार किया जाए और अन्य विभागों के दैनिक भोगी कर्मचारियों की भांति उन्हें भी नियमित किया जाए।
प्रधान ने तर्क दिया कि अगर आयुर्वेद विभाग में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पद नहीं है ऐसी स्थिति में जिन विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त पड़े हैं उन्हें समायोजित किया जाए। इनका कहना हैं कि विभाग द्वारा उनके साथ बहुत अन्याय हो रहा है। इस बारे अनेकों बार गुहार लगाई जा चुकी है। जिला आयुर्वेद अधिकारी शिमला डाॅ. पवन जैरथ ने बताया कि यह मामला सरकार के स्तर का है सरकार के आदेश के उपरांत ही दैनिक भोगी कर्मचारी नियमित होगें।