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आदर्श गांव के नाम पर चार सालों में पीरन गांव में नहीं लगी एक भी ईंट

SAPNA THAKUR | 6 अप्रैल 2022 at 3:34 pm

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HNN/ शिमला

आदर्श गांव बनने का सपना संजोए पीरन के लोग सरकार से खफा है। पीरन गांव के पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा, अतर सिंह ठाकुर व कमलेश ठाकुर, वरिष्ठ नागरिक दौलतराम मेहता, परमानंद, रामगोपाल मेहता सहित अनेक लोगों ने बताया कि आदर्श गांव के सपने दिखाकर पीरन गांव की जनता के साथ सरकार ने एक भद्दा मजाक किया है। आदर्श गांव बनाने के नाम पर अधिकारियों ने लोगों से बड़े-बड़े वायदे किए परंतु धरातल पर बीते चार वर्षों से कोई विकास नहीं हुआ।

बता दें कि वर्ष 2018-19 के दौरान मशोबरा ब्लाॅक के चार गांव सोनल, डुंब्लु, पीरन और रझाना का प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत चयन किया गया था। इस योजना के तहत इन गांवों में बिजली, पानी, रास्तों को पक्का करना, बागवानी, कृषि, स्वास्थ्य सेवाएं, वनीकरण संबधी कार्य किए जाने प्रस्तावित थे। सरकार द्वारा इन गांवों के समग्र विकास के लिए 20-20 लाख का प्रावधान किया गया था। गौर रहे कि इस योजना का कार्यान्वयन अन्य विभागों के साथ अभिसरण (कन्वर्जेंस ) से होना था।

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जिसमें 20 प्रतिशत व्यय पीएमएजीवाई हैड से तथा 80 प्रतिशत बजट अन्य विभागों के माध्यम से अभिसरण (कन्वर्जेंस) से व्यय किया जाना प्रस्तावित था अर्थात इस योजना के तहत एक गांव में विकास कार्य पर एक करोड़ व्यय किया जाना प्रस्तावित था। संबधित विभागों के पास पर्याप्त धनराशि न होने पर यह योजना आजतक सिरे नहीं चढ़ पाई। आदर्श गांव के लिए स्वीकृत 20 लाख की राशि ग्रामीण विकास के पास बीते चार सालों से लंबित पड़ी है।

आदर्श गांव बनने की खुशी में पीरन पंचायत मुख्यालय पर पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बीते वर्ष आभार रैली भी निकाली गई थी। तीन वर्ष के अंतराल के उपरांत बीते वर्ष मशोबरा ब्लाॅक के अधिकारियों द्वारा संबधित ग्राम पंचायत कार्यालयों पर इस बारें बैठकें की जिसमें कार्य योजना तैयार की गई थी। इस मौके पर ब्लाॅक द्वारा मनरेगा का अभिसरण करके कुछ कार्यों की हामी अवश्य भरी गई थी।

बैठक में तैयार शेल्फ एक वर्ष बीत जाने के बावजूद फाइलों में दफन होकर रह गई। विकास खंड कार्यालय मशोबरा के एससीबीपीओ कामराज ठाकुर ने बतायाा कि चार में से तीन गांव पीरन, सोनल और रझाना की सेल्फ स्वीकृत हो गई है। शीघ्र ही कार्य आरंभ कर दिए जाएंगे।

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