HNN/ शिमला
जुन्गा और ठियोग तहसील की सीमा पर बहने वाली नलटड़ी खड्ड हर वर्ष बरसात के दिनों में बटोला, नालटा, बागड़िया के बाशिंदों के लिए मुसीबत बनकर आती है। इन गांव के लोग बरसात में जान जोखिम में डालकर खड्ड को लांघते हैं। बीते पांच अगस्त को बटोला के निवासी किरपा राम ने इस खड्ड की विडियो बनाकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजी थी जिसमें एक स्कूल का बच्चा पेड़ का सहारा लेकर खड्ड लांघ रहा था। जिस पर मुख्य सचिव द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए नलटड़ी खड्ड का विडियो उपायुक्त शिमला को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा गया था।
दो मास बीत जाने पर भी प्रशासन की ओर से कोई भी वरिष्ठ अधिकारी बटोला व नालटा गांव के लोगों का दुःख दर्द सुनने नहीं आया। जिससे प्रतीत होता है कि सरकार के आदेश जिला प्रशासन के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। बता दें कि इन गांव में सौ फीसदी परिवार अनुसूचित जाति से संबध रखते हैं जिनका पशुओं का चरांद, घराट, कुछ परिवारों का सिरमौर में मेहनत मजदूरी करने को जाते हैं। बरसात के दिनों में इन गांव के लोगों को उफनती नलटड़ी खड्ड को जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। अनेकों बार पशु इन खड्ड में बहकर काल का ग्रास बन चुके है।
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बीते पांच दशक से इस क्षेत्र के लोग पैदल चलने योग्य पुल निर्मित करने की लगातार मांग कर रहे हैं परंतु किसी भी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है जिससे इन गांव के लोगों ने आगामी चुनाव में इसका जवाब देने का मन बना लिया है। इस वर्ष की बरसात में खड्ड में बाढ़ आने पर बटोला गांव का एक बच्चा छः दिनों तक स्कूल नहीं जा सका। सातवें दिन उसे रस्सी बांध पर खड्ड को पार करवाया गया। इसी प्रकार इस गांव के रामसा नामक व्यक्ति को 15 दिन तक सिरमौर में रूकने को मजबूर होना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2006 में नलटड़ी खड्ड पर पैदल चलने योग्य पुल का निर्माण किया गया था जोकि भारी बरसात से खड्ड में बाढ़ आने पर क्षतिग्रस्त हो गया था। दरअसल, यह पुल मशोबरा ब्लाॅक की दूरदराज पीरन व सतलाई पंचायत को ठियोग की सतोग पंचायत को जोड़ता है। इस क्षेत्र के लोगों की आपस में काफी रिश्तेदारियां है। इसके अतिरिक्त नालटा बटोला गांव के लोगों का चारागाह व घराट इत्यादि खड्ड पार कांवती में हैं। जिस कारण क्षेत्र के लोगों का आना जाना लगा रहता है।
फुटब्रिज न होने के कारण लोगों को कई बार मजबूरी में वाया जघेड होते हुए करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जबकि सीमा पर लगते सिरमौर के जघेड़ तक जाने के लिए कोई भी सरकारी परिवहन व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। उधर, खंड विकास अधिकारी मशोबरा मोहित कुमार ने बताया कि उन्होने कुछ महीनों पहले ही बतौर बीडीओ ज्वायन किया है। पैदल चलने योग्य पुल निर्मित करने बारे आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
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