अनेंदर सिंह नॉटी बोले- हिमाचल के किसानों की सिंधु बार्डर से जल्द होगी घर वापसी

HNN/ नाहन

हिमाचल किसान मोर्चा के अध्यक्ष एवं केंद्रीय कमेटी में प्रदेश संयोजक अनेंदर सिंह नॉटी ने नाहन में जारी प्रेस बयान में कहा कि किसानों ने एक साल से जारी दिल्ली मोर्चा फतेह कर लिया है। केंद्र सरकार ने तीनों काले कृषि कानून वापस लेकर किसानों की सभी मांगों को मानकर आधिकारिक पत्र भेजा हैं। मोर्चा 11 दिसंबर फतेह की अरदास के साथ घरों को वापसी करेगा। नॉटी ने कहा कि इस आंदोलन में हिमाचल प्रदेश की सक्रिय भूमिका रही।

हमारी टीम ने इस आंदोलन की ऊर्जा को गांव-गांव तक पहुंचाया। संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को दिल्ली में हुई केंद्रीय कमेटी की मीटिंग में प्रदेश संयोजक अनेंदर सिंह नॉटी ने भाग लेकर सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में हिमाचल की कुछ फल सब्जियों और फसलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य में लाने की मांग की और इसको ऑन रिकार्ड एजेंडे में दर्ज करवाया ताकि आगामी समय में जब भी एमएसपी को लेकर सरकारी कमेटी की बैठक हो, उसमें हिमाचल प्रदेश के इन मुद्दों पर चर्चा हो सके।

प्रथम दृष्टया जो सरकार मान चुकी है, उसके अनुसार हिमाचल में मक्की की सरकारी खरीद एमएसपी पर होना लगभग तय माना जा रहा है। जो हिमाचल की बहुत बड़ी जीत है। क्योंकि मक्की हिमाचल प्रदेश की सबसे अधिक पैदा होने वाली फसल है। इसके अतिरिक्त सेब, टमाटर, अदरक, आलू व लहसुन आदि के लिए भी कोई सरकारी नीति बनाकर किसानों को लाभ मिले इस पर चर्चा होगी।

सरकार द्वारा कृषि कानूनों को लेकर अपना फैसला बदलने में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव के परिणामों की भी बड़ी भूमिका रही है। जिसकी एसकेएम की केंद्रीय कमेटी के जनरल हाउस में मुक्त कंठ से सराहना हुई है। हिमाचल प्रदेश के किसानों की मांग पर भी चर्चा का वायदा केंद्रीय कमेटी ने किया है। इस आंदोलन ने देश में लोकतंत्र को पुनर्जीवित करते हुए सामाजिक धार्मिक एकता को बल प्रदान किया है।

महंगाई, बेरोजगारी व सरकारी संपत्ति की नीलामी जैसे मुद्दे जो कहीं ना कहीं धर्म की राजनीति में दब गए थे। उन पर सरकार को एक्शन लेना पड़ा है। बताया कि कुछ किसान संगठन इस आंदोलन से ना सीधे तौर पर जुड़ पाए ना दिल्ली मोर्चे तक पहुंचे। वह शिमला में ही सरकार से नूरा कुश्ती करके किसानों को गुमराह करते रहे।

उनको भी यह समझना होगा कि हिमाचल के किसानों के हक सिर्फ शिमला से नहीं, बल्कि दिल्ली में आवाज उठाने से मिलते हैं, जिसके लिए दिल्ली तक जाना भी जरूरी है। आज अगर हिमाचल के चार जिलों में धान की खरीद हुई है तो यह दिल्ली के आंदोलन का प्रभाव है। आगे भी अगर मक्की की सरकारी खरीद होती है, तो हिमाचल के किसानों को 500 करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। जो हिमाचल में छोटे किसानों के लिए तरक्की के दरवाजे खोलेगी।


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